सामाजिक-सांस्कृतिक धुरी है आलोक पर्व

पद्मा अग्रवालबैंगलोर (कर्नाटक)************************************ दीप जलें, मन महके (दीपावली विशेष)… आलोक पर्व अंधकार से प्रकाश का पर्व है। यह पर्व-त्यौहार आशा और सकारात्मकता के साझा उत्सव में विविध पृष्ठभूमि के लोगों को एकजुट करता है। इस आलोक पर्व की जीवंत सजावट, आतिशबाजी और सामुदायिक दावतों से समाज में एकता और एकजुटता की भावना को बढ़ावा मिलता … Read more

ज्योति-पर्व दीपावली

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* दीप जलें, मन महके (दीपावली विशेष)… माटी दीपक दिव्य आज तो, उसको आज जलाना है।अगणित दीप जलाकर भू का, सारा तिमिर मिटाना है॥ माटी की छोटी काया ने, गीत सुपावन गाया है,उसका लड़ना तूफानों से, सबके मन को भाया है।उजियारा तो प्रमुदित दिखता, मौसम बहुत सुहाया है,दीपों ने मंगल गाया है, … Read more

उत्सव की आहट

ममता साहूकांकेर (छत्तीसगढ़)************************************* घर में की साफ-सफाई,दीवारों में की पुताईकपड़ों की कर ली धुलाई,गलियाँ भी हमने चमकाईफिर भी नहीं थकावट है,दीपोत्सव की आहट है…। लेकर रौनक सजे बाजार,मोतियों का सुंदर हारफूलों की लम्बी कतार,खरीददारी के लिए सब हैं तैयारदेखो कितनी गर्माहट है,दीपोत्सव की आहट है…। नई हिलोर नई उमंगें आई,खुशियों की नई तरंगें आईखूब पटाखे-फुलझड़ियाँ … Read more

ज़ज्बात से स्वर…

बबिता कुमावतसीकर (राजस्थान)***************************************** मन की खामोशी में इक तूफ़ान पलता है,शब्दों की झिलमिल में भावों का जंगल जलता हैविवेक का दीपक बुझता है जब,अंतर का अंधकार स्वयं को निगलता है। स्मृतियों की परतों में एक चेहरा अनलिखा,मौन की चादर में लिपटा, समय से भी पुरानावो क्षण-जिसने हृदय की नसों में राग भरा,अब केवल प्रतिध्वनि है-सूनी, … Read more

बात करने से…

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* बात करने कीआदत सी है हमें,अपने भावों कोआवाज़ देने की। कला पाई है हमनेक्या करें बात करने,के गुण को आत्मसातकिया है अपने कार्य में। कभी-कभी लगता है,बिन बात भी जब बात,बन जाती है तो क्याआवश्यकता है बात करने की ? शायद चुप रहने की आदत नहीं है हमें,बात करने से अगर … Read more

मन का दीप

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** नव दीप ज्योति चमके,धन-धान्य से भरा होसुंदर सुहावना-सासंसार हो सभी का। ख़ुशियों भरी सुबह हो,झिलमिल चमकती रातेंदुख-दर्द का दमन हो,फैले नया उजियारा। दुनिया की आपा-धापी में,कुछ दिल्लगी के पल होंमौलिक हो सबकी रचना,मिटे मन का अँधियारा। बहे प्रेम-धार बन कर,आपस का भाई-चारा।शुभ-कामना यही है,जले मन का दीप प्यारा॥

सद्भावना के दीप जलाएँ

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* नफ़रत नहीं प्रेम करो, अन्धकार नफ़रती अमावस आएँ मिल हम दूर भगायें,शान्ति प्रेम और सद्भावना, समरसता के दीप जलायेंसोचें कितना लघुतर दुर्लभ मानव जीवन पाया हमने,छल-प्रपंच मन राग-द्वेष तम, प्रेम दीप हम चलो जलायें। बहता शोणित लाल रंग सम, जाति धर्म हो कोई चाहे,मानवीय मूल्यों घृत लिपटे, नैतिकता हम … Read more

श्री हरि भाग्य विधाता

सरोज प्रजापति ‘सरोज’मंडी (हिमाचल प्रदेश)*********************************************** है अति पावन गोचर कार्तिक, पूजन श्री हरि भाग्य विधाताहै मनभावन श्री हरि कार्तिक, जागृत हो अरु दीर्घ विधाता,व्योम निर्मल, उत्सव उल्लास, माधव साजन मास लुभाएमानुष, ध्यान लगा करुणा सिन्धु, पावन हो मनवा हरि भाए। धूम मची पर्व मंगल छा सब, श्री कमला मधुसूदन आएहो अभिनंदन राम सिया जग, दीप … Read more

गहरा सागर

बबिता कुमावतसीकर (राजस्थान)***************************************** जो प्रकट नहीं करता,वह ही प्रकट है। जो मुस्कुराता जाता हैउसके दुखों को,कोई नहीं जानता। उसकी भी उम्मीदों कोनील समंदर चाहिए,उसकी भी आकांक्षाओं कागहरा सागर है । वह दुखों को भीरखता है सफ़र में,जहां कभी खुशियों से भरासमंदर भी था। वहाँ आज दीमक खाएपेड़ लटके हैं,बहते काठ के टुकड़े हैंनदी के समानांतर … Read more

अँधेरे में दीप जलें

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ दीप जलें, मन महके (दीपावली विशेष)…. अन्धेरे में दीप जलें,रोशनी का अम्बरजगमगाता रहे हर दिन,हो हमारी शुभ दीपावली। जुगनुओं के टिमटिमाते इस आसमां में,तारों की रोशनी का अपना संसार होदीप पर्व पर सारा जग प्रकाशमय हो जाए,हो हमारी शुभ दीपावली। मन में हो विश्वास,महकें घर-आँगन खुशियों सेदीप से दीप जलें … Read more