फूलों की महक

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* रंग-बिरंगे फूल खिले हैं,कितने प्यारे फूल खिले हैंखिले हैं फूल महकते हुए,ताज़ा हैं फूल बिखरे हुए। मुस्कुराकर खिलते हैं फूल,इठलाकर खिल उठे हैं फूलनन्हे से फूल…

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बेहतरीन काव्य गोष्ठी ने रंग जमाया, पुस्तकें विमोचित

धनबाद (झारखंड)। कोयला नगर स्थित बी.सी.सी. एल अतिथि गृह में रविवार की शाम को साहित्योदय संस्था द्वारा काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। इसमें देश के जाने-माने ग़ज़लकार राजपाल यादव 'राज'…

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कहने को व्याकुल

सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* सतहों पर खामोशी हैपर मन में कितना शोर है,चुप-चुप सी लगती दीवारें…अंदर की बात और है। कहने को व्याकुल-सी खटियाकरती चरमर दिन-रात है,आजू-बाजू से निकल रहे…पर…

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बस अच्छे इंसान बनो

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** अच्छे इंसान बनो,बस विद्वान बनो। कभी ना लड़ना,बस आगे बढ़ना। होना खूब सफल,तभी सुनहरा कल। सबको उम्मीद तुमसे,गिरना ना डगर से। तुम्हीं भविष्य कल का,अच्छे काम…

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बेचैनी क्यों…?

ममता साहूकांकेर (छत्तीसगढ़)************************************* बेचैनी क्यों है इतनी,जब हर समस्या का हल है। आज परेशान हो जितना,उतनी ही खुशियाँ कल है। सुख-दुःख है आना-जाना,यही सत्य अटल है। चिंताओं में गुम ना…

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उद्देश्यों को लेकर हमेशा भ्रमणशील रहे विष्णु प्रभाकर

🔹सम्मान समारोह नई दिल्ली। विष्णु प्रभाकर खुद भी आवारा मसीहा थे। वे भी उद्देश्यों को लेकर हमेशा भ्रमणशील रहे। विष्णु प्रभाकर भी इतने ही सादगी पसंद व्यक्तित्व थे। विष्णु जी…

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साहित्यकार प्रो. खरे राष्ट्रीय प्रतियोगिता में पुरस्कृत

मंडला (मप्र)। अ.भा. कायस्थ महासभा (चित्रांश एक्सप्रेस) द्वारा 'पिता दिवस' पर आयोजित अ.भा. कविता प्रतियोगिता में वरिष्ठ कवि, कईं श्रेष्ठ कृतियों के रचयिता एवं अनेक सम्मानों से पुरस्कृत प्रो.(डॉ.) शरद…

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सम्मान संग हुआ बेहतरीन वंदे मातरम् कवि सम्मेलन

जबलपुर (मप्र)। संस्कारधानी की सशक्त हस्ताक्षर एवं अखिल भारतीय लेखक, कवि, कलाकार परिषद काशी (उप्र) के संयुक्त तत्वाधान में वंदे मातरम्‌ कवि सम्मेलन एवं स्मृति सम्मान-मानद सम्मान का आयोजन उल्लास…

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साहित्यकार कलम से कुआँ खोदें, खाई नहीं

भोपाल (मप्र)। साहित्यकार अपनी कलम से कुआं खोदें, खाई नहीं। कलम का काम समाज को जोड़ना है, तोड़ना नहीं। साहित्यकार को बर्तनों की तरह स्वयं को मांजना जरूरी है। मांजने…

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समाज मौन है और मैं भी…

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* आपाधापी मृगतृष्णा का, भागमभागी अविरत पथ है।किसकी चिन्ता किसको चिन्ता मौन आज सामाजिक मठ हैजान और पहचान वृथा सब,है अपनापन रिश्तों का गम,कहाँ सत्य…

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