बुद्ध की खोज ही विश्व शान्ति का एकमात्र समाधान

अल्पा मेहता ‘एक एहसास’राजकोट (गुजरात)*************************************** आपको लगता है कि बुद्ध को राजनीति की समझ नहीं थी ? पिता शुद्धोधन के इतने प्रयास के बाद भी उनका मोह सत्ता और राजपाट से ऐसे ही छूट गया ? आपको लगता है कि बुद्ध को इतनी समझ नहीं थी जितनी मार्क्स,लेनिन,मोदी और ट्रम्प को है इस दुनिया की … Read more

भारत को दबने की जरुरत नहीं

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ******************************* इस बार ग्लासगो में होने वाला जलवायु-परिवर्तन सम्मेलन शायद क्योतो और पेरिस सम्मेलनों से ज्यादा सार्थक होगा। उन सम्मेलनों में उन राष्ट्रों ने सबसे ज्यादा डींगें हांकी थीं,जो दुनिया में सबसे ज्यादा गर्मी और प्रदूषण फैलाते हैं। उन्होंने न तो अपना प्रदूषण दूर करने में कोई मिसाल स्थापित की और न ही … Read more

अच्छा लगता है…

डाॅ. पूनम अरोराऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)************************************* आँखों में सुनहरे सपनों का तैरना,तेरी यादों को देर रात खंगालनाख़्वाबों में तेरा ही दीदार होना,अच्छा लगता है…। लबों पर तेरे नाम का आना,खामोश रहकर सब कुछ कह जानारिश्तों की आबरू बनाए रखना,अच्छा लगता है….। तेरे अल्फाज़ों की तपिश से,दिल का पिघल जाना।मन के दरीचों से तेरा झांकना,अच्छा लगता है…॥ … Read more

दुनिया रंग-बिरंगी

वाणी वर्मा कर्णमोरंग(बिराट नगर)****************************** एक दिन की बात है,चुन्नू पूछ बैठा दादाजी सेकहो तो दादा जी ऐसा क्यों होता है,कोई काला कोई गोरा क्यों होता हैकोई पेड़ छोटा तो कोई लम्बा तार क्यों होता है,कहो तो दादा जी ऐसा क्यों होता हैसब क्यों अलग-थलग से होते हैं। चुन्नू की बात सुनकर,दादाजी सोच में आएक्या जबाब … Read more

मत की राजनीति

डॉ.अशोकपटना(बिहार)*********************************** मत की राजनीति,इन्सानियत की बगिया में,वोट का प्रहार है।सुंदर-सुंदर फूलों की जगह,नागफनी की पैदावार है।कमाल है लोकतंत्र,कहीं भीड़-कहीं कोहराम है।राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों में,बढ़ रही तकरार है।सड़क पर कानून की,धज्जियां उड़ाई जा रही है।कानून व्यवस्था भी खूब,शर्मशार होकर मुरझा रही है।निशाना यहां मत का,दूसरे की परवाह नहीं।कुचक्र की योजना यहां,बनती-बिखरती यहीं।थोड़ी-सी मछलियाँ,सरोवर गंदा कर रही यहां।कानून … Read more

कृष्ण जन्म लो दोबारा

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)*********************************** पाप कर्म का बोलबाला,झूठ अधर्म ने डेरा डालाबिछे राह में ढेरों कंटक,छाया है प्रेम का संकटमिटा नेह-नेह की बातें,तार-तार हुए रिश्ते नातेबहे नयन से अश्रुधारा,कृष्ण जन्म तुम लो दोबारा…। अहंकर रावण-सा खड़ा,स्वार्थ त्याग से हुआ बड़ाकहीं दिलों का मेल नहीं,मधुर प्रेम का खेल नहींमुरली की कहीं तान नहीं,गोकुल सी भी … Read more

अँधेरों को हराना है

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** घनी छायी है अँधियारी,चलो दीपक जलाते हैं। सभी घर में हो खुशहाली,नहीं बालक भूख से रोए।करो ऐसा जतन के कोई,नहीं फुटपाथों पर सोए।बनो मानव सही मन से,चलो मानवता जगाते हैं। प्रेम का दीपक नेह बाती,हर इक दर पर रखना है।दिखाना है रौशनी सबको,सफलता रस चखना है।अँधेरों को चलो मिलकर,राह से हर इक भगाते … Read more

नील गगन प्रतिबिम्ब चारु शुभ

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ****************************************** सम्भाषण शुभ आभरण मनुज,प्रतिबिम्बित मन भाव समझ ले।समरसता सदभाव सहज नित,मिटे सकल मन घाव समझ ले। नीलांचल अरुणाभ भोर जग,स्वच्छ सत्य आचार समझ ले।नवांकुरित नित पल्लव कोमल,नवजीवन आधार समझ ले। सदा सादगी प्रतिबिम्बित नित,प्रगति सुपथ निर्माण समझ ले।नीलकमल नीलाभरण सुभग,जनहितरत कल्याण समझ ले। नीलकण्ठ शंकर शिव सुन्दर,नील सरित जल … Read more

हथियार

नताशा गिरी  ‘शिखा’ मुंबई(महाराष्ट्र)************************************ हथियार,हाँ,जरूरी नहींदो धारी तलवार ही हो,बाणों की बौछार ही होधनुष की टंकार ही हो,ग्रेनाइट बिछी सड़कें होमंदिर-मस्जिद का वार हो,कटाक्ष में बड़ी धार ही हो। हथियार…उठता है जुर्म के खिलाफ,होता है जुर्म का पलड़ा भारीउठ जाती है अनेक आवाज,लगाए जाते हैं नारेगूँज जाती है दिशाएं,भयभीत हो जाती है सरकारें। हथियार…उठता है अपने … Read more

आशिकी खलती रही

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** देखकर अँधियार जग में चाँदनी हँसती रही।साथ मेरे चाँद था वो देख कर जलती रही। चाँद से भी खूबसूरत है मिरा दिलबर हसीं,शिद्दतों से उसके दिल में दुश्मनी पलती रही। आँख से शोले बरसते आग थी दिल में लगी,पर न जाने क्यों हमारे साथ वो चलती रही। जल रहा था दिल … Read more