‘मैं तो राम बनूँगा…’
राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** यादों का झरोखा..... कितना प्यारा लगता है ना अपना बचपन याद करना। वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी…धागे से बाँधकर कागज़ की नाव को तैराना…पहलदूज…
राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** यादों का झरोखा..... कितना प्यारा लगता है ना अपना बचपन याद करना। वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी…धागे से बाँधकर कागज़ की नाव को तैराना…पहलदूज…
गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’बीकानेर(राजस्थान)*********************************************** आज इतने महीनों तक हमने अनेक विशेषज्ञों की 'कोरोना' पर सलाह को टेलीविजन पर सुना व अखबारों में भी पढ़ कर समझा है,इसके अलावा अनेक वो…
मंडला(मप्र)। पर्यावरण संवर्धन एवं उसके महत्व को बनाए रखने हेतु जागरूकता का संदेश फैलाने व जनमानस में चेतना प्रसारित करने की दिशा में ऑनलाइन कवि सम्मेलन दिल्ली मातृका विवेक साहित्यिक…
संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** सरल नहीं है कर्म यहांगरल कर्म भाव है,धर्म की राह पर भी-धर्मराज पितृ न छाँव है। दोष पितृ मढ़े गएअपनों को ही मार कर,संग हरि थे वो…
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ************************************* रखना उर उम्मीद तू,तब पाएगा जीत।अगर निराशा पाल ली,तो हारोगे मीत॥ जीवन इक संघर्ष है,लड़ता जा तू यार।उम्मीदों को ले बना,विजयश्री उपहार॥ उम्मीदें पतवार हैं,कर…
सरगुजा (छग) | कलम की सुगंध विश्व साहित्य नारी कोष के तत्वावधान में अखंड सुहाग के पर्व वट सावित्री अमावस्या के शुभ अवसर पर काव्य सम्मेलन किया गया। कार्यक्रम में…
आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* शुभ कबीर कविराज,जगत के है उजियारा।नेक दिया संदेश,मिटाया मन अँधियारा॥कासी रहा निवास,बोल नित सत गुण भाषा।बोले संत कबीर,सत्य ही मन परिभाषा॥ गुरुवर रामानंद,कबीर सत् पथ अपनाए।करके…
विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ पूरी सदी त्रासदी वाली,न होली न मनी दिवाली। सड़कों पर सन्नाटा छाया,कचरे की भी दिखी न ट्राली। बाज़ारों से फल गायब हैं,गायब जामुन काली-काली। लीची,आम,पपीता छोड़ो,अब सारी मंडी…
डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* पर्यावरण दिवस विशेष..... धरती बंजर हो गई है कहां सेदिलाऊँ छाँव रे,कड़ी धूप से झुलस रहे हैं आजशहर और गाँव रे। हरे-भरे पेड़ों को काटा,हरियालीको छीन लिया,नीम…
अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** बचपन से ना जाने कितने,देवी-देव मनाती हैसुता,बहन,पत्नी से होकर,यात्रा माँ तक आती है। नौ माह तक रखा गर्भ मेंसर्द-दर्द सब सहती हैकब देखूं मुखड़ा शिशु का ?इस…