गीत सृष्टि पा लेती हूँ मैं
राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)*************************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से जब तेरे मृदु-वचनों से,थोड़ा रस पी लेती हूँ मैं।तुम मानो ना मानो प्रियतम,गीत सृष्टि पा लेती हूँ मैं। बरखा की छम-छम…