साहिबज़ादा की शहादत
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* मासूम थे दो नन्हें, पर वक्ष हिमालय-सा,धर्म-पथ पर अडिग रहना, था प्रण प्रलयालय-सा। दीवारों में चिनवा कर भी, झुके नहीं वे प्यारे,इतिहास लिख गए अमर, बन कर ज्वाला अंगारे। डर जिनकी आँखों से भी, दूर खड़ा काँप गया,अधर्म का किला सारा, मौन खड़ा थर्रा गया। बाल हृदयों में बसता, … Read more