दिव्या माथुर की कहानियाँ सहज भाषा के कारण प्रभावशाली

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पुस्तक परिचर्चा… दिल्ली। दिव्या माथुर की कहानियाँ अपनी सीधी और सहज भाषा के कारण विशेष रूप से प्रभावशाली बनती हैं। इन कथाओं में पितृसत्ता का प्रश्न बिना किसी पक्ष–पक्षधरता के सादगी से प्रस्तुत हुआ है, साथ ही कथाओं में पूर्वानुमान की उपस्थिति इन्हें और अधिक अर्थपूर्ण बनाती है। लेखिका किसी एक दृष्टिकोण का समर्थन नहीं … Read more

सपनों का शहर

दीप्ति खरेमंडला (मध्यप्रदेश)************************************* जहां रिश्तों में अपनापन हो,हर चेहरे पर मुस्कान होप्रेम की भाषा बोलें सब,नफरत की जहां जगह न होमेरे सपनों का शहर ऐसा हो…। तकनीकी के नए दौर में,जज्बात किसी के कम न होंबस मंजिल की दौड़ न हो,जीवन का सफ़र मजा भी होमेरे सपनों का शहर ऐसा हो…। कांक्रीट की दीवारों के … Read more

मानो या ना मानो

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर (मध्यप्रदेश)******************************** पुनर्जन्म होता,मानो या ना मानोपुराण-ग्रंथों में उदाहरण मिलते,पहचान लेता नन्हा बालकदूर बसे गाँव के लोगों को,जिसने उसे इस जन्म मेंकभी देखा ही नहीं,ये हकीकत हैमानो या ना मानो। याददाश्त नए जन्म में,कुछ समय टिकी रहतीपूर्वजन्म की नन्हें शरीर मेंफिर विस्मृत होने लगती,पुनर्जन्म की यादेंइसलिए कहा जाता,शरीर नश्वर आत्मा अमरस्मृति का ये … Read more

अकादमी द्वारा ‘विश्व हिन्दी दिवस’ पर सेमिनार

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तमिलनाडु। तमिल और हिंदी के बीच सेतु निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाने वाली तमिलनाडु हिन्दी साहित्य अकादमी (चेन्नै) आगामी ८ जनवरी को कोयम्बतूर में ‘विश्व हिन्दी दिवस’ के परिप्रेक्ष्य में विशेष समारोह कर रही है।इसमें राष्ट्रकवि सुब्रमण्यम भारती और भारतीय आत्मा माखनलाल चतुर्वेदी के चिंतन पर केंद्रित विषय रहेंगे।अकादमी के महासचिव ईश्वर करुण के अनुसार … Read more

मनमोहन अभिराम

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* मनमोहन मुरलीधरन, मन मुकुन्द अभिराम।मधुवन माधव माधिवी, जय हो राधेश्याम॥ भज पीताम्बर पदयुगल,मोरमुकुट अभिराम।लीलाधर राधा लसित, मालाधर सुखधाम॥ नंदलाल नटवर नयन, चारु कमल कमलेश।उत्तरीय शोभित हरित, तिलक भाल गोपेश॥ वेणीमाधव चारुतम, राधा रानी वाम।बिम्बाधर शुचि अस्मिता, अरुणिम रूप प्रणाम॥ भव्य मनोहर चन्द्रमुख, मातु यशोदा लाल।केशव माधव राधिका, दामोदर गोपाल॥ … Read more

आज कह लेने दो…

पद्मा अग्रवालबैंगलोर (कर्नाटक)************************************ “निर्भय, आज हम लोगों की शादी के पूरे ३० साल बीत गए। सब लोगों की नजरों में हम आइडियल कपल हैं, लेकिन मैं देख रही हूँ कि हम दोनों के रिश्तों पर समय की धूल जमती जा रही है। मैं बार-बार कहती रही। आज तक तुमने मुझे कभी ढंग का गिफ्ट नहीं … Read more

‘दीपावली’ का वैश्विक होना सांस्कृतिक आत्मा की विजय

ललित गर्ग दिल्ली*********************************** ‘यूनेस्को’ द्वारा दीपावली को अमूर्त विश्व धरोहर घोषित किया जाना भारत की सांस्कृतिक चेतना का ऐसा महत्त्वपूर्ण क्षण है, जो न केवल भारतीयों को गौरवान्वित करता है बल्कि यह सिद्ध करता है कि भारतीय सभ्यता की आत्मा आज भी मानवता का मार्गदर्शन करने की क्षमता रखती है। दीपावली मात्र एक त्योहार नहीं, … Read more

मन मचल रहा

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन (हिमाचल प्रदेश)***************************************************** नयी सी हवा है, नया आसमां,ठंडी हवा का दौर चल रहा हैमन तुमसे मिलने,को मचल रहा है। नयी-सी हवा है,नया आसमांतुम आ जाओगे,तो बदलेगा समां। मौसम सुहाना है,हमने ये माना हैसब कुछ छोड़कर,तुम्हें चले आना है। आसमां में बादल छाए हैं,हम तुमपे नजरें बिछाए हैंअपना लो मुझको इसके पहले,कि … Read more

‘सोने की चिड़िया’ रहे देश की संसद किस दिशा में..?

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)***************************************** देश के लिए सब कुछ तय करने वाला सर्वोच्च सदन यानी संसद, जिसे देश की सबसे पवित्र और सबसे जिम्मेदार लोकतांत्रिक संस्था माना जाता है, उसी में ‘वन्दे मातरम्’ कके लिए बहस के नाम पर अगर १० घंटे तमाशे का अखाड़ा हो, तो सोचना लाज़मी है कि ‘सोने की चिड़िया’ रहा … Read more

सफ़र-ए-ज़िंदगी पर…

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ सोचता हूँ मैं ए ज़िंदगी,तू कितना साथ देगीइसलिए हर रोज निकलता हूँ मैं,‘सफ़र-ए-ज़िंदगी’ पर…। कभी दर्द कभी खुशी का वो कारवां,कुछ खट्टा-कुछ मीठा-सा अनुभवइससे आगे बढ़ता हूँ मैं,‘सफ़र-ए-ज़िंदगी’ पर…। मुश्किलों से डरना मेरा काम नहीं,मैं हारा जरुर हूँ पर जीत की आशा नहीं छोड़ी मैंनेदेखना है मुझे मालिक मंजिल अब … Read more