झड़ी लगी ज्यों सावन की
आशा आजाद`कृतिकोरबा (छत्तीसगढ़)**************************** पावन सावन-मन का आंगन… नीर नयन से बहते मेरे, झड़ी लगी ज्यों सावन की।ऐसा लगता है प्रिय मुझको, बीते घड़ी सुहावन की॥ प्रियतम अब तो आ भी जाओ, दिल में है अरमान भरे,क्यों तुझको ये समझ न आए, रहते हो क्यों सदा परे।हृदय भाव को समझो प्रियतम, प्रियसी मैं मनभावन की,नीर नयन … Read more