झड़ी लगी ज्यों सावन की

आशा आजाद`कृतिकोरबा (छत्तीसगढ़)**************************** पावन सावन-मन का आंगन… नीर नयन से बहते मेरे, झड़ी लगी ज्यों सावन की।ऐसा लगता है प्रिय मुझको, बीते घड़ी सुहावन की॥ प्रियतम अब तो आ भी जाओ, दिल में है अरमान भरे,क्यों तुझको ये समझ न आए, रहते हो क्यों सदा परे।हृदय भाव को समझो प्रियतम, प्रियसी मैं मनभावन की,नीर नयन … Read more

धूम मचाती वर्षा ऋतु

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* धूम मचाती जल बरसाती, वर्षा रानी आई।आज मगन मन वृक्ष ले रहे, झूम-झूम अँगड़ाई॥ वसुधा की सब प्यास बुझ गई, हुआ आज मन हर्षित,मौसम में खुशियों की हलचल, पोर-पोर है पुलकित।हरियाली की बजी आज तो, मीठी-सी शहनाई,आज मगन मन वृक्ष ले रहे,झूम-झूम अँगड़ाई…॥ मेघों की तो दौड़-भाग है, मोरों का है … Read more

विद्यार्थी जीवन

आशा आजाद`कृतिकोरबा (छत्तीसगढ़)**************************** परम शुभम विद्यार्थी जीवन, बच्चे सबको भाते हैं।निश्छल बचपन पावन मंदिर, ईश्वर वो कहलाते हैं॥ कच्ची मिट्टी-सा हिय सबका, जैसा मन चाहे ढालें,ज्ञान ध्यान संस्कार श्रेष्ठ से, शुभ उनका हृदय बना लें।अंतर्मन से सच्चे होते, गीत खुशी के गाते हैं,परम शुभम विद्यार्थी जीवन…॥ शिक्षा का पथ प्रथम चरण है, सीख धरें बच्चे … Read more

मन है रीता-रीता

डाॅ. अरविंद श्रीवास्तव ‘असीम’दतिया (मध्यप्रदेश)************************************************* सपनों के संसार सजेपर मन है रीता-रीता।मन की चाह हुई न पूरीइक सारा युग बीता॥ चलता रहा सतत निज पथ पर,सच का बन अनुगामीचाटुकारिता के इस युग में,सदा मिली नाकामी।कर्म के फल की इच्छा मन में,समझ न पाया गीता।पर मन है रीता-रीता…॥ आपाधापी के जीवन में,खुद से न मिल पायाजग … Read more

वर्षा..लगता सुखद

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* गीत गा रही वर्षारानी, आसमान शोभित है।बहुत दिनों के बाद धरा खुश, तबियत आनंदित है॥ गर्मी बीती आई वर्षा,चार माह चौमासा।कभी धूप, तो कभी नीर है,आशा और निराशा॥वरुणदेव की दया हो गई, हर प्राणी पुलकित है,बहुत दिनों के बाद धरा खुश, तबियत आनंदित है…॥ स्रोत नीर के सूख गए थे,रुकने को … Read more

जीवन पथ ही समर भूमि

आशा आजाद`कृतिकोरबा (छत्तीसगढ़)**************************** जीवन पथ ही समर भूमि है, पार स्वयं कर लो।उलझन से है आप निकलना, गाँठ बाँध धर लो॥ हर क्षण नित्य परीक्षा लेता, कष्ट बहुत मिलता,जब करता संघर्ष मनुज तो, हृदय कुंज खिलता।कठिन डगर पर डटे रहो तुम, ज्ञान प्रभा भर लो,जीवन पथ ही समर भूमि है, पार स्वयं कर लो…॥ व्यर्थ … Read more

जिनके चरणों की छाया में…

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************************ जीना जैसे पिता… जिनके चरणों की छाया में,बचपन का सुख पाया है।हाथ पकड़ कर जिसने हमको,चलना खूब सिखाया है॥ जिनके दम पर हमने ही तो,हर संकट पहचाना है।कठिन डगर जिसके पग चलते,प्रतिपल उसको जाना है॥इक काबिल इंसान बना हूँ,सम्भव वही बनाया है।जिनके चरणों की छाया में,…॥ अपने श्रम से बहा … Read more

भूचालों की बुनियादों पर

आशा आजाद`कृतिकोरबा (छत्तीसगढ़)**************************** भूचालों की बुनियादों पर, बना रखा है घर।स्वप्न सलोने बुनती हूँ मैं, आशा है सुंदर॥ अंजानों से रिश्ते कहते, सभी पराये हैं,पर अपने निज रिश्ते माने, काम न आए हैं।पग-पग छल पीछे घूमे है, देख लगे है डर,भूचालों की बुनियादों पर, बना रखा है घर…॥ छलते सारे अपने देखो, पीड़ा है ज्यादा,छुरी … Read more

माथे का सिंदूर

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* रहे अमर श्रंगार नित्य ही, माथे का सिंदूर।जिसमें रौनक बसी हुई है, जीवन का है नूर॥ जोड़ा लाल सुहाता कितना,बेंदी, टिकुली ख़ूब।शोभा बढ़ जाती नारी की,हर इक कहता ख़ूब॥गौरव-गरिमा है माथे की, आकर्षण भरपूर,नग़मे गाता है सुहाग के, माथे का सिंदूर…॥ अभिसारों का जो है सूचक,तन-मन का है अर्पण।लाल रंग माथे … Read more

मैं हूँ मिथ्या

आशा आजाद`कृतिकोरबा (छत्तीसगढ़)**************************** संग चले नित झूठ दिखावा, मिथ्या नाम है।है घनिष्ठ निज छल से नाता, छलना काम है॥ भ्रमित जाल फैलाये रखती, ऐसी भावना,मनुज हृदय पर देती झूठी, मंगल कामना।दूर रहे मानव नित मुझसे, शुभ पैगाम है,संग चले नित झूठ दिखावा, मिथ्या नाम है…॥ बीच प्रेम के मैं घुस जाती, सुख निज लूटती,रिश्ते नाते … Read more