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जिनके चरणों की छाया में…

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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जीना जैसे पिता…

जिनके चरणों की छाया में,
बचपन का सुख पाया है।
हाथ पकड़ कर जिसने हमको,
चलना खूब सिखाया है॥

जिनके दम पर हमने ही तो,
हर संकट पहचाना है।
कठिन डगर जिसके पग चलते,
प्रतिपल उसको जाना है॥
इक काबिल इंसान बना हूँ,
सम्भव वही बनाया है।
जिनके चरणों की छाया में,…॥

अपने श्रम से बहा पसीना,
जरूरतें पूरी करते।
जिम्मेदारी खूब निभाते,
पेट सभी का हैं भरते॥
नित-नित शीश झुकता हूँ मैं,
जिसने भव में लाया है।
जिनके चरणों की छाया में,…॥

स्वर्ग बनाया अपने घर को,
स्नेह प्रेम की बरसातें।
हर दु:ख में सुख देने वाला,
परम पिता की सौगातें॥
सपने पूरा करने वाला,
जग में मान दिलाया है।
जिनके चरणों की छाया में,…॥

परिचय- बोधन राम निषादराज की जन्म तारीख १५ फरवरी १९७३ और स्थान खम्हरिया (जिला-बेमेतरा) है। एम.कॉम. तक शिक्षित होकर सम्प्रति से शास. उ.मा.वि. (सिंघनगढ़, छग) में व्याख्याता हैं। आपको स्व.फणीश्वर नाथ रेणू सम्मान (२०१८), सिमगा द्वारा सम्मान पत्र (२०१८), साहित्य तुलसी सम्मान (२०१८), कृति सारस्वत सम्मान (२०१८), हिंदीभाषा डॉट कॉम (म.प्र.) एवं राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान (२०१९) सहित कई सम्मान मिल चुके हैं। प्रकाशित पुस्तकों के रूप में आपके खाते में हिंदी ग़ज़ल संग्रह ‘यार तेरी क़सम’ (२०१९), ‘मोर छत्तीसगढ़ के माटी’ सहित छत्तीसगढ़ी भजन संग्रह ‘भक्ति के मारग’ ,छत्तीसगढ़ी छंद संग्रह ‘अमृतध्वनि’ (२०२१) एवं छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल संग्रह ‘मया के फूल’ आदि है। वर्तमान में श्री निषादराज का बसेरा जिला-कबीरधाम के सहसपुर लोहारा में है।

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