‘मित्र’ रत्न को संजोकर अवश्य रखें

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)********************************************** मित्रता और जीवन… मैत्री होती श्रेष्ठ की, बढ़ते चंद्र समान,ओछे की होती वही, घटते चंद्र समान।यानि कि, योग्य पुरुष की मित्रता बढ़ती हुई चन्द्रकला के समान है, पर मूर्ख की मित्रता घटते हुए चन्द्रमा के सदृश्य है।मित्रता में बार-बार मिलना और सदा साथ रहना इतना आवश्यक नहीं है, यह तो हृदय की एकता … Read more

ममता सरकार की दुर्दशा

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ******************************************* प. बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की सरकार भयंकर दुर्गति को प्राप्त हो गई है। कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि, ममता बैनर्जी की सरकार इतने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार कर सकती है। ममता के राज में लगता था कि ममता के डर के मारे अब वे कोई गलत-सलत काम नहीं … Read more

जीना सिखाती है दोस्ती

ललित गर्गदिल्ली************************************** मित्रता और जीवन…. मैत्री (मित्रता) दिवस के पीछे की भावना हर जगह एक ही है-मित्रता एवं दोस्ती का सम्मान। मैत्री का दर्शन बहुत विराट है, स्वस्थ निमित्तों की श्रृंखला में यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। बिना किसी आग्रह एवं स्वार्थ के जो मैत्री स्थापित करता है, वह सबके कल्याण का आकांक्षी रहता है, सबके … Read more

तरक्की में बाधक के लिए दंड आवश्यक

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** आज से नहीं…वर्षों से जिस दल का सबसे अधिक समय शासन रहा, उनके नेता दुबई जाते रहे हैं, लेकिन दुबई से कुछ नहीं सीखा। यदि सीख लेते तो आज भारत देश ने कितनी तरक्की कर ली होती। हमने तो एक बार जाकर यह बात महसूस की। दुबई से दूसरी फ्लाइट पकड़नी थी, … Read more

बेतुके बोलते अ ‘धीर’ से घायल कांग्रेस

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** बिखरी, अनुशासनहीन और मनमर्जी सहित कार्यकर्ताओं से इतर ‘परिवारवाद’ से चलाई जा रही कांग्रेस में बेतुके बोलने वालों की कोई कमी अब तक नहीं हुई है, यह बात कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ‘राष्ट्रपत्नी’ कहकर फिर साबित की है। सत्तासीन प्रमुख दल भाजपा ने इस मामले को … Read more

सामर्थ्य के विमर्श में मातृभाषा की भूमिका

डॉ. गिरीश्वर मिश्र, गाजियाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************* मनुष्य इस अर्थ में भाषाजीवी कहा जा सकता है कि, उसका सारा जीवन व्यापार भाषा के माध्यम से ही होता है। उसका मानस भाषा में ही बसता है और उसी से रचा जाता है। दुनिया के साथ हमारा रिश्ता भाषा की मध्यस्थता के बिना अकल्पनीय है। इसलिए भाषा सामाजिक सशक्तिकरण के … Read more

चिकित्सा की पढ़ाई हिंदी में

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ******************************************* आजादी के ७५ वें साल में मैकाले की गुलामगिरी वाली शिक्षा पद्धति बदलने की शुरुआत अब मध्यप्रदेश से हो रही है। इसका श्रेय मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान और चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. विश्वास सारंग को है। मप्र की वर्तमान सरकार भारत की ऐसी पहली सरकार है, भारत की शिक्षा के इतिहास … Read more

राष्ट्रवाद:एक अवलोकन व विवेचना

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* उपरोक्त विचारों से स्पष्ट हो जाता है कि, भारत में राष्ट्रवाद का उदय और विकास उन परिस्थितियों में हुआ जो राष्ट्रवाद के मार्ग में सहायता प्रदान करने के स्थान पर बाधाएँ पैदा करती है। वास्तविकता यह है कि, भारतीय समाज की विभिन्नताओं में मौलिक एकता सदैव विद्यमान रही है और … Read more

‘जनभाषा में न्याय’ के लिए आयोग का गठन हो

डॉ. एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य’मुम्बई(महाराष्ट्र)********************************************** राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि “इससे बढ़कर जुल्म क्या हो सकता है कि मुझे अपने देश में इंसाफ पाने के लिए भी अंग्रेजी की मदद लेनी पड़े” लेकिन उनके समर्थन से बने प्रधानमंत्री उन्हीं का नाम लेकर बनी सरकार के नेतृत्व और लंबे शासन के बावजूद राष्ट्रपिता के विचारों … Read more

‘सकारात्मकता’ ही मानसिक अवसाद का इलाज

शशि दीपक कपूरमुंबई (महाराष्ट्र)************************************* आधुनिक समय में प्रत्येक व्यक्ति अपने-अपने संघर्षों से जूझ रहा है। एक से एक बढ़कर आकर्षित रहन-सहन, ऊँचे-ऊँचे पद पर स्वयं को आसीन करने की तीव्र इच्छा, उच्च शिक्षा के लिए अधिक से अधिक अंक प्राप्त करने की लालसा, परिवारिक रिश्तों में आपसी छोटी-छोटी बातों को लेकर तनाव, अनुवांशिक बीमारी, दीर्घकालीन … Read more