फिर गूंजी ‘जनभाषा में न्याय’ की आवाज
डॉ. मोतीलाल गुप्ता ‘आदित्य’मुम्बई(महाराष्ट्र)********************************************** एक सामान्य भारतवासी जो कानून की पेचीदगियाँ और राजनीति नहीं जानता, उसके मन में भी एक प्रश्न स्वाभाविक रूप से उठता है कि जब हम १५ अगस्त १९४७ को स्वाधीन हो गए, तब भी मुझे अपने देश में अपनी भाषा में न्याय क्यों नहीं मिलता ? मुझसे कानूनी कागजात पर हस्ताक्षर … Read more