व्यापक सुधार की बहुत गुन्जाइश

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’बीकानेर(राजस्थान)********************************************* 'परिवहन दिवस' (१० नवम्बर) विशेष... हमारे देश में हर साल १० नवम्बर को 'परिवहन दिवस' पर नागरिकों विशेषकर छात्रों को आजादी मिलने वाले साल से लेकर…

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संस्कारवान हो शौक या मनोरंजन

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)******************************************* चिंतन... मनुष्य एक सामाजिक प्राणी के साथ विवेकशील जानवर है, जिसमें अपने काम करने की असीम सम्भावनाएँ हैं। जानवर से तात्पर्य इतना है कि, प्रत्येक जानवर अपने धरम-संस्कार…

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बगावती होते टिकट वंचित नेता, यही वफादारी ?

ललित गर्गदिल्ली************************************** ५ राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले अनेक राजनीतिक दलों एवं उनके नेताओं के बीच बड़ी उठा-पटक, खींचतान एवं चरित्रगत बदलाव देखने को मिल रहे हैं। राजस्थान एवं…

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बेमिसाल उपमाओं-रचनाओं के अद्वितीय महाकवि

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)******************************************* कालिदास जयंती (४ नवम्बर) विशेष... साहित्य के क्षेत्र में अभी तक हुए महान कवियों में कालिदास जी अद्धितीय हैं। उनके साहित्यिक ज्ञान का कोई वर्णन नहीं किया जा…

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सार्वजनिक कार्यक्रम में ‘डीजे’ मतलब मौत को निमंत्रण

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)******************************************* चिंतन... हमारे देश में ७ वार और ९ त्यौहार मनाए जाते हैं तथा देश स्वतंत्र होने से स्वच्छंदता से भरपूर है। धर्म के नाम पर इतने कट्टर हैं…

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अंधी दुनिया में गुम होती किशोर पीढ़ी

ललित गर्गदिल्ली************************************** संचार-क्रांति से दुनिया तो सिमटती जा रही, लेकिन रिश्तों में फासले बढ़ते जा रहे हैं। भौतिक परिवर्तनों, प्रगति के आधुनिक संसाधनों एवं तथाकथित नए जीवन का क्रांतिकारी दौर…

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राष्ट्रगान ही राष्ट्र की पहचान व सम्मान

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)******************************************* हमारे देश और अभी कुछ दिनों पूर्व किसी अन्य देश में राष्ट्रध्वज का अपमान किया गया, उसको पैरों से कुचला और अपने देश के निवासियों ने ही अपमान…

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वेश-भूषा

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* बढ़ी हुई दाढ़ी, मैले-कुचैले एवं फटे कपड़े, टूटी चप्पल पहने एक व्यक्ति शहर की सबसे बड़ी पाँच सितारा होटल में घुसने की कोशिश कर…

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अमेरिकी छवि को दागदार करती बन्दूक ‘संस्कृति’

ललित गर्गदिल्ली************************************** दुनिया में स्वयं को सभ्य एवं स्वयं-भू मानने वाले अमरीका में ‘बंदूक संस्कृति’ के साथ लोगों में बढ़ रही असहिष्णुता, हिंसक मनोवृत्ति और आसानी से हथियारों की सहज…

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दिखावे की प्रतिस्पर्धा से भक्ति घटी

रत्ना बापुलीलखनऊ (उत्तरप्रदेश)***************************************** शक्ति, भक्ति और दिखावा... भक्ति, शक्ति और दिखावा ये तीनों शब्द एक-दूसरे के पूरक होते हुए भी अर्थ एंव साम्यर्थ में भिन्न हैं। हिन्दुओं का हर त्यौहार…

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