आदर्श चरित्र प्रतीक ‘तारा’

डॉ. मीना श्रीवास्तवठाणे (महाराष्ट्र)******************************************* पंचकन्या (भाग ४)… प्रात:स्मरणअहल्या द्रौपदी सीता तारा मंदोदरी तथा।पंचकन्या ना स्मरेन्नित्यं महापातकनाशनम्॥अब हम जानेंगे इस श्लोक की तृतीय पंचकन्या ‘तारा’ के बारे में। वाल्मिकी ‘रामायण’ में किष्किंधा कांड में ‘तारा’ नामक सशक्त स्त्रीव्यक्तिरेखा का परिचय महापराक्रमी किष्किंधा नरेश वाली महारानी के रूप में होता है। तारा के जन्म की कथा समुद्र … Read more

आजादी के जश्न से नए संकल्प बुनें

ललित गर्ग दिल्ली************************************** स्वतंत्रता दिवस विशेष… भारत का ७८ वां स्वतंत्रता दिवस आजादी अमृतकाल के कालखंड के सन्दर्भ में एक विशाल एवं विराट इतिहास को समेटे हुए नये भारत के नये संकल्पों की सार्थक प्रस्तुति देने और नए संकल्प बुनने का अवसर है। यह एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना का स्मरण करने से कहीं ज्यादा है, … Read more

हमारा देश, जिम्मेदारी समझें

कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’मुंगेर (बिहार)********************************************** स्वतंत्रता दिवस विशेष…. ‘सुपंथ के पंथ पर,हम आगे बढ़ते जाएँगेराष्ट्र के कल्याणार्थ हम,अपना कर्म करते जाएँगे।स्वार्थ साधना की आँधी में,अपनी दृष्टि न गवांएँगे॥’जी हाँ, आज यही भाव भारत के हर एक नागरिक के मन में जगाने की आवश्यकता है, तभी भारत फिर से अपनी पुरातन संस्कृति को जीवंत कर पाएगा और … Read more

भारतीय स्त्री का आदर्श प्रमाण संस्कारित ‘सीता’

डॉ. मीना श्रीवास्तवठाणे (महाराष्ट्र)******************************************* पंचकन्या (भाग ३)… प्रात:स्मरणअहल्या द्रौपदी सीता तारा मंदोदरी तथा।पंचकन्या ना स्मरेन्नित्यं महापातकनाशनम्॥अब हम जानेंगे इस श्लोक की तृतीय पंचकन्या ‘सीता’ के बारे में। आद्य कवि वाल्मिकी रचित महाकाव्य ‘रामायण’ की नायिका (जिसे लक्ष्मी का अवतार माना जाता है) भूमिकन्या, वैदेही (विदेह, अर्थात जनक राजा की मानस कन्या), जानकी, मैथिली, जो राम … Read more

संघर्ष को आमंत्रित करे युवा पीढ़ी

ललित गर्ग दिल्ली************************************** अन्तर्राष्ट्रीय युवा दिवस (१२ अगस्त) विशेष… युवा क्रांति का प्रतीक है, ऊर्जा का स्रोत है। इस क्रांति एवं ऊर्जा का उपयोग रचनात्मक एवं सृजनात्मक हो, इसी ध्येय से सारी दुनिया प्रतिवर्ष १२ अगस्त को ‘अन्तर्राष्ट्रीय युवा दिवस’ मनाती है। सन् २००० में इस दिवस का आयोजन आरम्भ किया गया था। यह दिवस … Read more

दृष्टिकोण का बड़ा महत्व और सम्बन्ध है जीवन में

शीलाबड़ोदिया ‘शीलू’इंदौर (मध्यप्रदेश )*********************************************** किसी भी विषय को किस नजर से देखा जाता है, उसमें दृष्टिकोण का बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है, जिससे कि देखने वाले व्यक्ति का विषय के प्रति नजरिया बदल जाता है। यहाँ विषय से तात्पर्य कोई वस्तु, विषय, स्थान या घटना से भी हो सकता है। दृष्टिकोण पर शिक्षा का भी … Read more

लापरवाही विनेश की, किसी का भी दोष नहीं

सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’इंदौर (मध्यप्रदेश )******************************************** आज का दिन खेल इतिहास में दुखद दिन के रूप में सदैव याद रखा जाएगा। कल तक पूरा भारत खुश था कि, हमें एक पदक निश्चित रूप से मिलेगा ही मिलेगा, पर कहते हैं ना “किस्मत कब बदल जाए, यह कोई नहीं कह सकता।” देश में खुशी के पल … Read more

खुदा ही खुदा

डॉ. मुकेश ‘असीमित’गंगापुर सिटी (राजस्थान)******************************************** खुदा की तलाश किसे नहीं, सबको है, लेकिन जिसे है, वह इस शहर में आए गड्डापुर। यहाँ आपकी तलाश पूरी होगी। ऐसी शर्तिया गारंटी है, जैसे-दाद, खाज, खुजली, नासूर, भगंदर, नपुंसकता का इलाज और खोए हुए प्यार दिलाने वाले विज्ञापन देते हैं।यूँ तो विकास और खुदाई का चोली-दामन का साथ … Read more

कहानी सम्राट प्रेमचंद

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** मुंशी जी-कथा संवेदना के पितामह… हैं सम्राट कहानी के,छोटी-छोटी सी बात कहीजिस युग की छवि इंगित की है,उस युग की सारी बात कहीकैसे होरी का क़र्ज़ बढ़ा,क्या थी धनिया की व्यथित कथाकिस हाल में जीता था किसान,बस लिख डाला विस्तृत बयानहामिद का चिमटा हो गया प्रसिद्ध,‘बूढ़ी काकी’ का हाल लिखा।भाषा भी सीधी-साधी … Read more

प्रेमचंद जी की भाव अनुरागी साहित्य-तरंगिणी

डॉ. मीना श्रीवास्तवठाणे (महाराष्ट्र)******************************************* मुंशी जी:कथा संवेदना के पितामह… साहित्य का किसलिए निर्माण किया जाता है ? इसके जवाब के लिए मुंशी प्रेमचंद जी के शब्दों का आधार लें तो, “साहित्य केवल मनोरंजन की वस्तु नहीं और नायक एवं नायिका के विरह और मिलन का राग नहीं अलापता। उसका उद्देश्य है बहुत दूरगामी है। जीवन … Read more