भविष्य की तो मानो चिंता ही नहीं

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** प्रकृति से खिलवाड़... आज इस इक्कीसवीं सदी तक पहुँचते-पहुँचते हम शिक्षित तो खूब हुए, पर हमने प्रकृति का ध्वंस करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कभी-कभी तो…

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मानसिक प्रदूषण दूर करना और सीमित होना होगा

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)***************************************************** प्रकृति और खिलवाड़... जब व्यक्ति पैदा होता है, वह नैसर्गिक होता है। हमारे चारों तरफ पेड़, पौधे, वृक्ष, नदियाँ, पहाड़ आदि भी नैसर्गिक होने पर बहुत सुन्दर दिखाई…

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विपक्षी दल भाजपा को मात देने में होंगे सफल ?

ललित गर्गदिल्ली************************************** नया वर्ष शुरु होते ही राजनीतिक दलों की सरगर्मियां भी नए मोड़ पर आने लगी हैं। क्योंकि इस वर्ष ९ राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, त्रिपुरा,…

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प्रकृति माँ को बचाओ

प्रो. लक्ष्मी यादवमुम्बई (महाराष्ट्र)**************************************** प्रकृति और खिलवाड़... आज से कई हजार वर्ष पूर्व हमारे देश के आचार्य और ऋषि-मुनियों ने प्रकृति से ही औषधियों की खोज की थी। पीपल, तुलसी,…

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पर्यावरण सरंक्षण अति आवश्यक

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’बीकानेर(राजस्थान)***************************************************************** प्रकॄति और खिलवाड़... भारतीय मनीषियों ने बहुत पहले ही हमें समझा दिया था कि, जल, वायु, पृथ्वी, अग्नि और आकाश इन पाँचों तत्वों से ही ब्रह्मांड…

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भारत में गरीबी-अमीरी की खाई

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ******************************************* आजकल हम भारतीय लोग इस बात से बहुत खुश होते रहते हैं कि, भारत शीघ्र ही दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है, लेकिन दुनिया…

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कौन है दोषी ?

शशि दीपक कपूरमुंबई (महाराष्ट्र)************************************* प्रकृति से खिलवाड़... सुरंग विकास परियोजना से कई वर्ष पहले अधिकतर लोग पहाड़ों पर पर्यटकों को आकर्षित करने व रोजी-रोटी के लिए बस गए। इन लोगों…

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भाषा, संचार और ज्ञान को चाहिए औपनिवेशिक सोच से मुक्ति

डॉ. गिरीश्वर मिश्र,गाजियाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************* भारत की भाषिक विविधता का अद्भुत विस्तार और उसका सहज स्वीकार प्राचीन काल से इस देश में सामाजिक बर्ताव का अहम हिस्सा रहा है। इस विविधता को…

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रोका जाए बच्चों के प्रति बढ़ती संवेदनहीनता को

ललित गर्गदिल्ली************************************** बच्चों के प्रति समाज को जितना संवेदनशील होना चाहिए, उतना नहीं हो पाया है। कैसा विरोधाभास है कि, समाज, सरकार और राजनीतिज्ञ बच्चों को देश का भविष्य मानते…

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जहर कभी अमृत नहीं बन सकता

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)***************************************************** शराब से केंद्र और राज्य सरकारों को राजस्व-आय होने से शराब पर पाबन्दी नहीं लगा सकती है। इसके कई फायदे सरकार को हैं-राजस्व, अस्पताल, चिकित्सक, दवाई झगड़ा, हत्याएं,…

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