सैनिकों का बलिदान व्यर्थ न जाए

ललित गर्ग दिल्ली************************************** लगातार जम्मू-कश्मीर में बढ़ रही आतंकी घटनाएं चिन्ता का कारण बन रही है। डोडा जिले में आतंकी हमले में कैप्टन समेत सेना के ४ जवानों और जम्मू-कश्मीर के एक पुलिसकर्मी का बलिदान अब यही दर्शा रहा है कि, शांति एवं अमन की ओर लौटा जम्मू-कश्मीर एक बार फिर आतंकवादी आघातकारी घटनाओं की … Read more

राष्ट्रीय चरित्र और स्वस्थ राजनीति के सूत्रधार रहे प्रभात झा

ललित गर्ग दिल्ली************************************** पत्रकारिता के एक पुरोधा पुरुष, मजबूत कलम एवं निर्भीक वैचारिक क्रांति के सूत्रधार, उत्कृष्ट राष्ट्रवादी, भाजपा नेता और भाजपा मुखपत्र ‘कमल’ के मुख्य सम्पादक प्रभात झा अब नहीं रहे। वे ६७ वर्ष की उम्र में अस्पताल में जिन्दगी एवं मौत के बीच जूझते हुए हार गए। एक संभावनाओं भरा हिन्दी पत्रकारिता, स्वच्छ … Read more

मेघ मल्हार धुन सावन की

डॉ. मीना श्रीवास्तवठाणे (महाराष्ट्र)******************************************* मेघ, सावन और ईश्वर… “वागर्थाविव संपृक्तौ वागर्थ: प्रतिपत्यये।जगत: पितरौ वंदे पार्वतीपरमेश्वरौ॥”(अर्थ:शब्द और अर्थ का सम्यक ज्ञान प्राप्त हो, इसलिए शब्द और अर्थ के समान ही (परस्पर से भिन्न होकर भी) परस्पर में समाहित रहने वाले, जो अखिल जगत के जनक जननी हैं, ऐसे पार्वती तथा परमेश्वर (शिव) को मैं प्रणाम करता … Read more

प्रातःस्मरणीय ‘अहल्या’ आदर्श चरित्र

डॉ. मीना श्रीवास्तवठाणे (महाराष्ट्र)******************************************* पंचकन्या (भाग-१)… “अहिल्या द्रौपदी सीता तारा मंदोदरी तथा।पंचकन्या ना स्मरेन्नित्यं महापातक नाशनम्॥”याद आए कुछ श्लोक, जो प्रातः स्मरण के रूप में कंठस्थ थे! इनमें ऊपर निर्देशित ब्रम्ह पुराण से लिया यह संस्कृत श्लोक था। श्लोक का शब्दशः अर्थ लें, तो वह इस प्रकार है-अहल्या, द्रौपदी, सीता, तारा, मंदोदरी इन पाँचों के … Read more

सावन में धरती का सत्य सुंदर

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ मेघ, सावन और ईश्वर… जब जगत के पालन हारे गहरी निद्रा में लीन हो जाते हैं, तब चौमासा-चातुर्मास का यह समय बड़ा पावन होता है। वर्षा की इस ऋतु में धरती उल्लास और आंनद की अनुभूति करती है। प्रकृति, पर्यावरण और हरियाली इन मेघों की बरसात में आसमान को सतरंगी … Read more

जीवन को नया घाट देते हैं ईश्वर तुल्य गुरु

ललित गर्ग दिल्ली************************************** गुरु पूर्णिमा (२१ जुलाई) विशेष…. गुरु पूर्णिमा का भारतीय संस्कृति में सर्वोपरि महत्व है, यह गुरु-पूजन का पर्व है। सन्मार्ग एवं सत-मार्ग पर ले जाने वाले महापुरुषों के पूजन का पर्व, जिन्होंने अपने त्याग, तपस्या, ज्ञान एवं साधना से न केवल व्यक्ति को,) बल्कि समाज, देश और दुनिया को भवसागर से पार … Read more

‘काले’ रिक्शा में बैठा ‘धवल’ व्यक्तित्व, धन्यवाद प्रभु राम का…

डॉ. विकास दवेइंदौर(मध्य प्रदेश ) ******************************************** मंगलवार रात्रि का प्रसंग है। एक कार्यक्रम से वापसी हो रही थी। देर रात जब वापस लौट रहा था, तो मेरे ध्यान में आया कि, भोपाल के कार्यक्रमों में लौटते हुए अल्पाहार का पैकेट देने की एक परम्परा बनी हुई है। इन दिनों स्वास्थ्यगत परेशानियों के कारण ना तो … Read more

भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर ‘चातुर्मास’

ललित गर्ग दिल्ली************************************** चातुर्मास शुभारंभ (१७ जुलाई) विशेष… भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा में चातुर्मास का विशेष महत्व है। विशेषकर वर्षाकालीन चातुर्मास का। हमारे यहाँ मुख्य रूप से तीन ऋतुएँ होती हैं। वर्ष के १२ महीनों को इनमें बॉंट दें, तो प्रत्येक ऋतु ४-४ महीने की हो जाती है। वर्षा ऋतु के चार महीनों के … Read more

भुखमरी-कुपोषण:जागरूक होना पड़ेगा सरकारों को

ललित गर्ग दिल्ली************************************** संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा भारत सहित पूरे विश्व में भूख, कुपोषण एवं बाल स्वास्थ्य पर समय-समय पर चिंता व्यक्त की गई है। यह चिन्ताजनक स्थिति विश्व का कड़वा सच है, लेकिन शर्मनाक सच भी है और इससे उबरना जरूरी है। कुपोषण और भुखमरी से जुड़े वैश्विक प्रतिवेदन … Read more

अनमोल भेंट ‘गुरु दक्षिणा’

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************************************* पुस्तक समीक्षा… जिस रफ़्तार से समय गतिमान हुआ दिखाई देता है, उससे प्रतीत होता है कि, रफ़्तार ने मनुष्य से उसका समय ही चुरा लिया है। छोटा हो या बड़ा, जिसे देखो यही कहता प्रतीत होता है,-“समय ही नहीं है…।” एक समय था जब घरों में बच्चों के लिए तरह-तरह … Read more