तुम चाहते हो
विद्या पटेल ‘सौम्य’ इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) ******************************************** तुम चाहते हो,बदल डालें हमअपनी हर ख्वाहिशें,हर चाहत, स्वादऔर…यहाँ तक सपने भी,तुम्हारे और तुम्हारे अपनों की खातिर,मिटा दूं…अपने अस्तित्व को ही,रंग-रूप, वेश भूषा कोतुम्हारी जिद की खातिर,बदल डालूं खुद को याकर लूँ अपना मेक-ओवर। तुम जानते हो…हैं कई रूप हमारे,बेटी, बहन, बहू, पत्नी, माँ,और…तुम उसे ही अस्तित्वहीन कर,पुरूषत्व … Read more