गुरु की महत्ता

बबिता कुमावतसीकर (राजस्थान)***************************************** गुरु ही वह दीप है,जो तमस को हर लेता है। गुरु ही वह वाणी है,जो चेतनता को जगाता है। गुरु ही वह सार है,जो युगों का ज्ञान देता है। गुरु ही वह प्रेम है,जो उजियारा भर देता है। गुरु ही वह धैर्य है,जो ब्रह्म का तेज जगा देता है। गुरु ही वह … Read more

ठिठक रही है संध्या

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)********************************************* अभी-अभी विदा हुई है शाम सिंदूरी-सिंदूरी,अभी-अभी जुदा हुई है किरन पंखुरी-पंखुरीदूर क्षितिज पर रेंग रही है किरन पूरी-अधूरी,धीरे-धीरे ओझल हो रही पहाड़ों की श्रृंखला पूरी। गगन नापते पंछी लौटे सारे, अपने- अपने घोंसले,अभी-अभी भी कुछ नाप रहे हैं आसमां के फ़ासलेउड़ान भरकर, गपशप करते, कतार भरते पंछी चले,कुछ बुजुर्ग पंछी, रह … Read more

नन्हें-नन्हें बच्चे होते हैं शान

ममता साहूकांकेर (छत्तीसगढ़)************************************* नन्हें-नन्हें प्यारे बच्चे,घर की होते हैं शानबातें करते प्यारी-प्यारी,मीठी होती है जुबान। दुनियादारी से दूर रहते,सच्ची होती है मुस्कानदिनभर उछल-कूद करते,शरारत करना है पहचान। माता-पिता की आँख के तारे,दादा-दादी की होते हैं जानना किसी से ईर्ष्या, द्वेष,ना छल-कपट में इनका ध्यान। बड़े प्रेम से मिलकर रहते,व्यवहार करते सबसे समानथोड़े लगते अक्ल के … Read more

काले घन नभ छाए

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** काले घन नभ छाए,बरस रहे बदरामन को अति हर्षाए। सखियों की राह तकूँ,आ जाओ तुम सबसब मिल कर भीग सकूँ। बाग़ों में पिक बोले,साजन आ जानाबैठी मैं घर खोले। पुलकित वन-उपवन है,पावस ऋतु आईगीतों का मौसम है॥

दिल तो बच्चा बन जाता है

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* उम्र चाहे जो भी हो,हर इंसान में एकबच्चा छुपा रहता है। जीवन भर रहकर गंभीर,कुछ पल के लिए ही सहीज़िंदादिल बन जाता है। कर्तव्यों के प्रति सचेत रहकर भी,बच्चों के साथ हँसता है, रोता हैखेल-खेल में उछलता कूदता है। पता है कि बचपन लौट करनहीं आएगा,प्यारे बच्चों के साथफिर से अपने … Read more

जीवन का आधार

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ जीत के लिए हमहार से नहीं डरें,गिरना-फिर संभलनायही जीवन का आधार है। रोना काहे का, आँसू मत बहानाहँसते हुए आगे बढ़ते जाना,जीवन में संघर्ष तो करना पड़ता हैयही जीवन का आधार है। डरने वाले क्या लड़ेंगे ज़माने से,यहाँ दुनिया वाले तो बहुत ज़ालिम हैजीने भी नहीं देंगे और ना मरने … Read more

प्यारा बचपन

डॉ. गायत्री शर्मा ’प्रीत’इन्दौर (मध्यप्रदेश )******************************************* बच्चे मन के सच्चे होते,भेदभाव में वह कच्चे होते। पल में ही वो रो देते हैं,अगले पल फिर हँस लेते हैं। भोला-भाला पावन होता,बचपन ये मनभावन होता।। रूठे तो माँ झूला देती,गुब्बारा एक फूला देती। हवाई जहाज व मोटर गाड़ी,नहीं दिए तो पकड़े साड़ी। बचपन सुंदर-सलोना होता,जगमग घर का … Read more

अलबेला मौसम आया

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन (हिमाचल प्रदेश)***************************************************** मौसम को मैंने इस समयबदलते पाया,वास्तव में अबअलबेला मौसम है आया। न पंखे की जरूरत हैन हीटर की जरूरत है,देखिए मौसमकितना खूबसूरत है। ऐसे अलबेले मौसम काअलग ही मजा है,मौसम खराब हो तोलगती सजा है। मौसम बदल रहा हैतुम मत बदल जाना,सात जन्म तकमेरा ही साथ निभाना। ये मौसम … Read more

‘ही मैन’

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ वह ‘जट यमला पगला दीवाना’,‘गुड्डी’ से मिला ‘चुपके-चुपके’‘आँखें’, ‘ललकार’, ‘बगावत’, ‘शोले’ नेबना दिया उन्हें ‘ही मैन।’ कभी बना वह ‘नौकर बीबी का’,‘राजपूत’, ‘रजिया सुल्तान’, ‘जानी दोस्त’‘अलीबाबा और चालीस चोर’ या ‘शालीमार’ ने,बना दिया उन्हें ‘ही मैन।’ ‘धरमवीर’ से ‘एक महल हो सपनों का,‘लोफर’, ‘यादों की बारात’ के ‘जूगनू’ लिए‘ब्लैकमेल’ कर … Read more

परिस्थितियाँ जीवन की

बबिता कुमावतसीकर (राजस्थान)***************************************** परिस्थितियाँ नदियों सी बहती,मौन विनय की दीक्षा देती है। अंधड़-सी जीवन में आती,सब आधार हिला देती है। कभी प्रचंड लहर बन जाती,तीव्र प्रवाह-सी आती है। नियति का वह सबक सिखा देती,कभी लहरें किनारे तक लाती है। कभी तूफानों में नाव डगमगाती,कभी दाहक प्रखर बन जाती है। समय का चलायमान स्वर बन जाती,कभी … Read more