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किरदार बौना हो गया

जसवीर सिंह ‘हलधर’
देहरादून( उत्तराखंड)
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आदमी का आजकल किरदार बौना हो गया है।
जिंदगी का फलसफा अब तो ‘करोना’ हो गया है।

ढो रहा है आदमी कांधे सगों की लाश यारों,
मरघटों तक लाश लाना बोझ ढोना हो गया है।

जो कभी सरदार थे सालिम हमारे गाँव भर के,
रोग के कारण ठिकाना एक कोना हो गया है।

पक्ष या प्रतिपक्ष में अब खास अंतर ही नहीं है,
भ्रष्टता के दाग को तर्कों से धोना हो गया है।

हिंदुओं की मौत हो या मुस्लिमों की मौत हो,
राजनीतिक सोच का दर्शन घिनौना हो गया है।

औरतों के जिस्म पर तो कीमती पोशाक दिखते,
अंग प्रदर्शन न जाने क्यों खिलौना हो गया है।

पैंतरे बदले रिवाजों ने यहां पर इस तरह से,
बात शादी की चली तो साथ गौना हो गया है।

ऑक्सीजन या दवाई की कमी से देश जूझा,
पर जमाखोरों को ये मौसम सलौना हो गया है।

अब कहाँ लैला,कहाँ मजनूं कहानी खोजते हो,
आज ‘हलधर’ प्यार तो बस साथ सोना हो गया है॥

परिचय-जसवीर सिंह का साहित्यिक नाम ‘हलधर’ है। १ जनवरी १९६७ को गहना (जिला बुलंद शहर,उत्तर प्रदेश)में जन्मे और वर्तमान निवास देहरादून (उत्तराखंड)में है। शिक्षा -बी.एस-सी.(कृषि-ऑनर्स) व एम.ए.(समाज शास्त्र)है। भारतीय जीवन बीमा निगम में कार्यरत श्री सिंह की प्रकाशित पुस्तकें-शंखनाद,अंतर्नाद व वतन के रखवाले(सांझा संग्रह) आदि है। आपको राष्ट्रीय कवि संगम,हिंदी समिति,ओएनजीसी सहित शिखर सम्मान(पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी,मेघालय),छंद शिरोमणी,साहित्यश्री एवं राष्ट्रीय गौरव सम्मान से भी सम्मानित किया गया है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताओं का प्रकाशन हुआ है तो टी.वी.चैनलों-मंचों पर कविता पाठ भी किया है।

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