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आ भी जाओ…

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’
पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)
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मत पूछो विरहन की पीड़ा,
आ भी जाओ ओ हरजाई।
नीरहीन मछली-सी तड़फन,
देकर कैसी प्रीत निभाई॥
आ भी जाओ…

सूना मेरे मन का आँगन,
सूना-सूना कुसुमाकर है।
सूना शशि है,और कौमुदी,
सूना ही तो प्रभाकर है॥
सूना सावन,सूने झूले ,
नींदें मेरी हुईं पराई।
मत पूछो विरहन की पीड़ा,
आ भी जाओ ओ हरजाई॥
आ भी जाओ…

नील गगन में उमड़-घुमड़ते,
बादल भी हैं मुझे चिढ़ाते।
सुमनों के केशों में बैठे,
अलि भी मुझको नहीं सुहाते॥
दिल भी मेरा रहा न अपना,
प्रीत हो गई अरे पराई।
मत पूछो विरहन की पीड़ा,
आ भी जाओ ओ हरजाई॥
आ भी जाओ…

कोयल गाती है रसाल वट,
पीड़ा ही तो दे जाती है।
और कहाँ ऊषा है मधुरिम ,
सपने सारे ले जाती है॥
मन कहता है नेह लगाकर ,
काँटों की क्यूँ सेज सजाई।
मत पूछो विरहन की पीड़ा,
आ भी जाओ ओ हरजाई॥
आ भी जाओ…

नेहगीत के हर आखर पर ,
कह दो प्रिय क्यूँ अटक रही हूँ।
जाने-पहचाने पथ पर भी,
जाने क्यूँ मैं भटक रही हूँ॥
आओ झट से बाँह पकड़ लो ,
साँसों की हो रही विदाई।
मत पूछो विरहन की पीड़ा,
आ भी जाओ ओ हरजाई॥
आ भी जाओ…

नींद चिढ़ाने आ जाती है,
नित रातों को जाग रही हूँ।
टूट रहे तारों से कब से,
प्रीत सुहानी माँग रही हूँ॥
दिन तो सदा रहे थे बैरी,
क्यूँ तुमने ये नींद चुराई।
मत पूछो विरहन की पीड़ा,
आ भी जाओ ओ हरजाई॥
आ भी जाओ…

नीरहीन मछली-सी तड़फन,
देकर कैसी प्रीत निभाई।
मत पूछो विरहन की पीड़ा,
आ भी जाओ ओ हरजाई॥
‌ आ भी जाओ…
आ भी जाओ…
आ भी जाओ…

परिचय-डॉ.विद्यासागर कापड़ी का सहित्यिक उपमान-सागर है। जन्म तारीख २४ अप्रैल १९६६ और जन्म स्थान-ग्राम सतगढ़ है। वर्तमान और स्थाई पता-जिला पिथौरागढ़ है। हिन्दी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले उत्तराखण्ड राज्य के वासी डॉ.कापड़ी की शिक्षा-स्नातक(पशु चिकित्सा विज्ञान)और कार्य क्षेत्र-पिथौरागढ़ (मुख्य पशु चिकित्साधिकारी)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत पर्वतीय क्षेत्र से पलायन करते युवाओं को पशुपालन से जोड़ना और उत्तरांचल का उत्थान करना,पर्वतीय क्षेत्र की समस्याओं के समाधान तलाशना तथा वृक्षारोपण की ओर जागरूक करना है। आपकी लेखन विधा-गीत,दोहे है। काव्य संग्रह ‘शिलादूत‘ का विमोचन हो चुका है। सागर की लेखनी का उद्देश्य-मन के भाव से स्वयं लेखनी को स्फूर्त कर शब्द उकेरना है। आपके पसंदीदा हिन्दी लेखक-सुमित्रानन्दन पंत एवं महादेवी वर्मा तो प्रेरणा पुंज-जन्मदाता माँ श्रीमती भागीरथी देवी हैं। आपकी विशेषज्ञता-गीत एवं दोहा लेखन है।

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