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संविधान दीपक जले

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’
बेंगलुरु (कर्नाटक)

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गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष……….

सदा नमन माँ भारती,जिनकी हम सन्तान।
आन-बान-मान ए वतन,बनूँ धन्य बलिदानll

सभी दुहाई दे रहे,संविधान दिन-रात।
जाति धर्म भाषा वतन,करे विरोधी बातll

जले दीप परमार्थ का,जले दीप गणतंत्र।
संविधान दीपक जले,संघ शक्ति हो मंत्रll

लोकतन्त्र चौथा नयन,जनता की आवाज़।
संविधान रक्षक वतन,नीति प्रीति आग़ाजll

संविधान अधिकार है,आप किए मतदान।
अफवाहों से दूर हों,लोकतंत्र सम्मानll

लेखन पाठन श्रवण सम,देवनागिरी लेख।
बने राष्ट्रभाषा वतन,संविधान अभिरेखll

संविधान के नाम पर,वोट बैंक का खेल।
लक्ष्य मात्र तुष्टीकरण,दंगाई से मेलll

शान्ति प्रगति हो देश में,भारत रहे स्वतंत्र।
सर्वधर्म सद्भाव का,परिचायक गणतंत्र॥

हरित रंग विलसित धरा,शौर्य केशरी त्याग।
नील चक्र श्वेत रंग में,सतत शान्ति-अनुराग॥

प्यारा वन्दे मातरम्,और राष्ट्र का गान।
प्राणों से प्यारी हमें,संविधान की आन॥

जनमन अभिवन्दन सदा,लोकतंत्र-अभिमान ।
संविधान करवा रहा,लोकस्वस्ति का भान॥

नीति प्रगति सम प्रीति हो,हो भारत उत्थान।
संविधान जनमन सबल,मानवता उत्थान॥

जनपीड़ा सब दूर हो,रोगमुक्त हो परिवेश।
कवि ‘निकुंज’ इच्छा मनसि,संविधान संदेश॥

कवि निकुंज दोहावली,राष्ट्र शान्ति नित ध्येय।
संविधान हिन्दी वतन,हिन्द मातरं गेय॥

परिचय-डॉ.राम कुमार झा का साहित्यिक उपनाम ‘निकुंज’ है। १४ जुलाई १९६६ को दरभंगा में जन्मे डॉ. झा का वर्तमान निवास बेंगलुरु (कर्नाटक)में,जबकि स्थाई पता-दिल्ली स्थित एन.सी.आर.(गाज़ियाबाद)है। हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी,मैथिली,बंगला, नेपाली,असमिया,भोजपुरी एवं डोगरी आदि भाषाओं का ज्ञान रखने वाले श्री झा का संबंध शहर लोनी(गाजि़याबाद उत्तर प्रदेश)से है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी, संस्कृत,इतिहास),बी.एड.,एल.एल.बी., पीएच-डी. और जे.आर.एफ. है। आपका कार्यक्षेत्र-वरिष्ठ अध्यापक (मल्लेश्वरम्,बेंगलूरु) का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप हिंंदी भाषा के प्रसार-प्रचार में ५० से अधिक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़कर सक्रिय हैं। लेखन विधा-मुक्तक,छन्दबद्ध काव्य,कथा,गीत,लेख ,ग़ज़ल और समालोचना है। प्रकाशन में डॉ.झा के खाते में काव्य संग्रह,दोहा मुक्तावली,कराहती संवेदनाएँ(शीघ्र ही)प्रस्तावित हैं,तो संस्कृत में महाभारते अंतर्राष्ट्रीय-सम्बन्धः कूटनीतिश्च(समालोचनात्मक ग्रन्थ) एवं सूक्ति-नवनीतम् भी आने वाली है। विभिन्न अखबारों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्यिक संस्था का व्यवस्थापक सदस्य,मानद कवि से अलंकृत और एक संस्था का पूर्व महासचिव होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी साहित्य का विशेषकर अहिन्दी भाषा भाषियों में लेखन माध्यम से प्रचार-प्रसार सह सेवा करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ है। प्रेरणा पुंज- वैयाकरण झा(सह कवि स्व.पं. शिवशंकर झा)और डॉ.भगवतीचरण मिश्र है। आपकी विशेषज्ञता दोहा लेखन,मुक्तक काव्य और समालोचन सह रंगकर्मी की है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति आपके विचार(दोहा)-
स्वभाषा सम्मान बढ़े,देश-भक्ति अभिमान।
जिसने दी है जिंदगी,बढ़ा शान दूँ जान॥ 
ऋण चुका मैं धन्य बनूँ,जो दी भाषा ज्ञान।
हिन्दी मेरी रूह है,जो भारत पहचान॥

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