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मानवता पर क्रूर वार

अख्तर अली शाह `अनन्त`
नीमच (मध्यप्रदेश)

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जूझ रही जब दुनिया सारी,
‘कोरोना’ की बीमारी से।
आर्थिक प्रतिबंध ऐसे में,
मानवता पर क्रूर वार हैं॥

एक सूत्र में दुनिया सारी,
बंधी हुई है सभी जानते।
मानवता के रक्षक हैं जो,
जग सारा परिवार मानते।
नहीं एक राष्ट्र का दुःख जब,
दामन सारे तार-तार हैं।
आर्थिक प्रतिबंध ऐसे में,
मानवता पर क्रूर वार हैं॥

ताकतवर प्रतिबंध लगाते,
कमजोरों पर ये होता है।
पर ताकतवर कायनात में,
सबका मालिक इकलौता है।
दिखा दिया उसने ताकतवर,
जग के कितने निराधार हैं।
आर्थिक प्रतिबंध ऐसे में,
मानवता पर क्रूर वार हैं॥

हम ‘अनंत’ मानव हैं तो फिर,
मानवता को कभी न भूलें।
इस मौके पर काम सभी के,
आएं ना ताकत में फूलें।
अदा करेगा चक्रसुदर्शन,
वरना कर्जे जो उधार हैं।
आर्थिक प्रतिबंध ऐसे में,
मानवता पर क्रूर वार हैं॥

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