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‘बेटी बचाओ’ नारा खतरे में

जसवंतलाल खटीक
राजसमन्द(राजस्थान)
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मछली-सी हो गयी हो तुम,
बाहर निकलो तो मर जाओगी।
भेड़िये से बैठे है दरिंदे,
इनसे कभी ना बच पाओगी॥
 
कब तक यूँ ही चलता रहेगा,
कब तक लड़कियां जलती रहेंगी।
निर्भया,दिव्या,आसिफ़ा,प्रियंका,
ना जाने कितनी ओर सहेगी॥ 
 
आख़िर कब तक जुल्म सहोगी, 
कब तलक जलाई जाओगी।
डाल दो एक कटार पर्स में, 
फूलन देवी बन जाओगी॥ 
 
नहीं सुनेगी सरकार तुम्हारी, 
नहीं बचा अब कोई इंसान।
बनो शेरनी करो प्रहार तुम
तभी बचेगी तुम सबकी जान॥ 
 
साध्वी के बयान महत्वपूर्ण, 
सता पलट के नाटक जरूरी। 
सालों लग गए राम न्याय में, 
बेटियों को कब मिलेगी मंजूरी॥ 
 
नेताजी को थप्पड़ मारा, 
अभिनेत्री ने क्या है पहना। 
यही सब दिखाती मीडिया,
तुझे कब न्याय मिलेगा बहना॥ 
 
पशुओं का इलाज करती थी, 
पर बीमार थे वहशी इंसान।
नोंच-नोंच कर जला दिया, 
और बेच दिया अपना ईमान॥ 
 
जनता को ही लड़ना होगा, 
गब्बर अब हमें बनना होगा।
बलात्कारी  हिन्दू हो या मुस्लिम, 
इंसाफ तो अब करना होगा॥ 
 
उठो शेरनियों दिखा दो ज्वार, 
फिर न करेगा कोई अन्याय। 
थाम लो अब तुम सब हथियार, 
दिला दो इन बेटियों को न्याय॥ 
 
सरकार तुम फाँसी मत देना, 
और मत डालो इनको तुम जेल। 
जनता को सौंप दो उन सालों को, 
फिर दिखाएंगे गुनाह का खेल॥ 
 
अंग भंग कर दो सालों के, 
फिर जिंदा रह कर पछतायेंगे। 
डाल पिंजरे में,छोड़ दो जू में, 
फिर लोग थूक-थूक कर जाएंगे॥ 
 
‘बेटी बचाओ’ का नारा खतरे में, 
खतरे में हैं नारी शक्ति महान।
भारत देश की आन खतरे में, 
फिर कैसे कह दूँ मैं भारत महान॥ 
 
जब-जब भारत माँ की बेटियां, 
खून के आँसू पीती हैं। 
तब जा के एक कवि की कलम, 
न्याय की आस करती है॥ 
 
‘जसवंत’ अर्ज करे सरकार, 
एक छोटा-सा काम करो।
या तो सख्त सजा दो उनको,
या भ्रूण हत्या को माफ करो॥
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कवि जसवंत लाल खटीक
संस्थापक मिशन नीवं सेवा संस्थान
रतना का गुड़ा,राजसमंद
परिचयजसवंतलाल बोलीवाल (खटीक) की शिक्षा बी.टेक.(सी.एस.)है। आपका व्यवसाय किराना दुकान है। निवास गाँव-रतना का गुड़ा(जिला-राजसमन्द, राजस्थान)में है। काव्य गोष्ठी मंच-राजसमन्द से जुड़े हुए श्री खटीक पेशे से सॉफ्टवेयर अभियंता होकर कुछ साल तक उदयपुर में निजी संस्थान में सूचना तकनीकी प्रबंधक के पद पर कार्यरत रहे हैं। कुछ समय पहले ही आपने शौक से लेखन शुरू किया,और अब तक ६५ से ज्यादा कविता लिख ली हैं। हिंदी और राजस्थानी भाषा में रचनाएँ लिखते हैं। समसामयिक और वर्तमान परिस्थियों पर लिखने का शौक है। समय-समय पर समाजसेवा के अंतर्गत विद्यालय में बच्चों की मदद करता रहते हैं। इनकी रचनाएं कई पत्र-पत्रिकाओं में छपी हैं।

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