भोपाल (मध्यप्रदेश)
स्वाति इधर-उधर खिलखिलाती जैसे लहर,
गुनगुनाती सरगम जैसे शाम और शहर।
रिमझिम-रिमझिम जुगनू-सी जगमगाती-सी,
चारों तरफ तारों भरी रात जैसे दिवाली-सा मंजर।
अनगिनत खुशियों की रोशनी से रोशन जैसे चंद्रमा,
धीमी-धीमी महकी-सी हवा से महकता आसमां।
कलाकारियों की अनेकों प्रतिछाया लेकर,
फैलाई चारों और अपनी अभिनय की लालिमा।
थोड़ी चंचल,नटखट,अदा है अठखेली-सी,
हँसती-खेलती चहचहाती चिड़िया-सी।
अपने पर(पंख)फैलाये हर दिशाओं में,
ईश्वर की अदभुत रचना जैसे उपहार-सी।
रहे साथ तो खिल उठता है सारा चमन,
चहल-पहल से सज रहा घर आँगन।
उसकी कमी खलती है हर समय,
ना हो तो लगता है जैसे बिन चाँद-गगन॥
परिचय-तृप्ति तोमर पेशेवर लेखिका नहीं है,पर प्रतियोगी छात्रा के रुप में जीवन के रिश्तों कॊ अच्छा समझती हैं।यही भावना इनकी रचनाओं में समझी जा सकती है। आपका साहित्यिक उपनाम-तृष्णा है। जन्मतिथि २० जून १९८६ एवं जन्म स्थान-विदिशा(म.प्र.) है। वर्तमान में भोपाल के जनता नगर-करोंद में निवास है। प्रदेश के भोपाल से ताल्लुक रखने वाली तृप्ति की लेखन उम्र तो छोटी ही है,पर लिखने के शौक ने बस इन्हें जमा दिया है। एम.ए. और पीजीडीसीए शिक्षित होकर फिलहाल डी.एलएड. जारी है। आप अधिकतर गीत लिखती हैं। एक साझा काव्य संग्रह में रचना प्रकाशन और सम्मान हुआ है।