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मांग रही अधिकार

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ 
उदयपुर(राजस्थान)

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महिला दिवस स्पर्धा विशेष……

महिला दिवस बता रहा,नारी की पहचान।
इच्छा पाले उड़ रही,ऊँची बहुत उड़ान॥

नारी को समझें नहीं,अबला या लाचार।
शीश उठाये वह खड़ी,माँग रही अधिकार॥

हर समाज के क्षेत्र में,अब है भागीदार।
नारी शक्ति तुझे नमन,जग करता हर बार॥

आँचल में ममता बसी,तुम हो पालनहार।
अपने इस कर्तव्य को,आँसू भी स्वीकार॥

बनी केन्द्र यह जगत की,इससे ही संसार।
सृष्टि इसी पर है टिकी,लाख धन्य है नार॥

कभी चाँद की चाँदनी,कभी आग-सी धूप।
नारी अबला है नहीं,धरे शक्ति का रूप॥

नारी हिंसा हो नहीं,शोषण भी हो बंद।
हर दोषी पाये सजा,नहीं रहे स्वच्छंद॥

नारी हर घर गाँव की,पढ़-लिख नाम कमाय।
पाँवों पर वह हो खड़ी,दुख दरिद्र मिट जाय॥

सीता सी वह माँ बनी,मीरा जैसी भक्त।
लक्ष्मी सी वीरांगना,पूजनीय हर वक्त॥

नारी इज्जत नर करे,तो प्रभु किरपा पाय।
उस घर की शोभा बढ़े,खुशियाँ वहीं समाय॥

लैंगिक भाव समान हो, हो नहीं तिरस्कार।
नार शक्ति नर की बने,सुने समाज पुकार॥

प्यार शक्ति हिम्मत रखे,वह है जिम्मेदार,
समय याचना का गया,वह माँगे अधिकार॥

परिचय–संजय गुप्ता साहित्यिक दुनिया में उपनाम ‘देवेश’ से जाने जाते हैं। जन्म तारीख ३० जनवरी १९६३ और जन्म स्थान-उदयपुर(राजस्थान)है। वर्तमान में उदयपुर में ही स्थाई निवास है। अभियांत्रिकी में स्नातक श्री गुप्ता का कार्यक्षेत्र ताँबा संस्थान रहा (सेवानिवृत्त)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप समाज के कार्यों में हिस्सा लेने के साथ ही गैर शासकीय संगठन से भी जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता,मुक्तक एवं कहानी है। देवेश की रचनाओं का प्रकाशन संस्थान की पत्रिका में हुआ है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जिंदगी के ५५ सालों के अनुभवों को लेखन के माध्यम से हिंदी भाषा में बौद्धिक लोगों हेतु प्रस्तुत करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-तुलसीदास,कालिदास,प्रेमचंद और गुलजार हैं। समसामयिक विषयों पर कविता से विश्लेषण में आपकी विशेषज्ञता है। ऐसे ही भाषा ज्ञानहिंदी तथा आंगल का है। इनकी रुचि-पठन एवं लेखन में है।

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