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तुमसे ही जिन्दगी है हमारी

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

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महिला दिवस स्पर्धा विशेष……

रचनाशिल्प:२२१ २१२ २१२ २
तुम केन्द्र,हम धुरी हैं तुम्हारी,
तुमसे ही जिन्दगी है हमारी।
कहते सभी तुम्हें अबला नारी,
तुम केन्द्र,हम…धुरी हैं तुम्हारी॥

सबको जनम तुमने दिया है,
तुमने ही सबका पालन किया है।
पर बात क्या जो सबला न नारी,
कहते सभी हैं क्यूं अबला नारी।
तुम केन्द्र,हम…॥

नौ माह कोख में रखती हो तुम,
पलते हैं फूल से गोद में हम।
अपना लहू करो कतरा-कतरा,
भर पेट दूध फिर दो दुधारी।
तुम केन्द्र,हम…॥

धरती-गगन सी है शक्ति तुममें,
जीवन से भर दी ये सृष्टि तुमने।
पहचान ही नहीं सबको न्यारी,
वरना कहें न सब अबला नारी।
तुम केन्द्र,हम…धुरी हैं तुम्हारी…॥

परिचय-हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।

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