मुद्दा-वेबिनार
बनाम अपने शब्द
बलदेवानन्द सागर-
डॉ.एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य’ ने वेबिनार
के लिए ई-संगोष्ठी
का परामर्श दिया हैl चूँकि,मैं संस्कृत-साहित्य और संस्कृत-पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य करता हूँ इसलिए निवेदन करना चाहूँगा कि संचाररोध (लॉकडाउन) के समय में बहुतायत प्रयुक्त इस शब्द के लिए ‘अंतर्जालीय संगोष्ठी’ या ‘ई-संगोष्ठी’ का प्रयोग प्रमुख रूप से किया जा रहा हैl केवल आप सुधीजनों के संज्ञान के लिए जानकारी हैl
श्री पांडेय-
वस्तुबोधक शब्दों को ज्यों का त्यों ले लेना हिंदी के हित में होगा। केवल विद्वज्जन संकल्पना बोधक शब्दों को हिंदी में बनाने के बारे में चिंतन,मनन, निजध्यासन करें तो इससे हिंदी का भी हित होगा और विद्वानों का भी।
उदय कुमार सिंह (मुंबई)-
संजाल-गोष्ठी
या संजाल-संगोष्ठी
यह तो वेबिनार
को कह सकते हैं,किन्तु मेरा मानना है कि वेबिनार का कोई हिन्दी प्रतीक नहीं मिल पाएगा। ई-गोष्ठी ,वेबिनार शब्द की व्युत्पत्ति एवं संरचनात्मकता के हिसाब से सही पर्याय हो सकता है,किन्तु एकशब्दीय प्रतीक व पर्याय वह नहीं ही कहा जाएगाl अत: हिन्दी में कोई एक शब्द व पद तो कदापि बन पाएगा। यह हर भाषा की लाचारी होती है। संस्कृत में या अन्य भारतीय भाषा में कोई समानार्थी शब्द मिले तो उसे भी प्रयोग में ला सकते हैं, तो उस तरफ जरुर खोजबीन होनी चाहिए,मगर संदेह ही है कि अन्य भारतीय भाषाओं में भी ‘वेबिनार’ के लिए कोई एकार्थी व समानार्थी पद या शब्द मिले।
राजेश्वर वशिष्ट-
ई-संगोष्ठी
सही प्रयोग है। इसे चलाना है।
इंद्र कुमार शर्मा-
बिल्कुल सही है,लेकिन हाई-फाइ लोगों को अच्छा नहीं लगेगा।
अमरजीत-
इसका सबसे अच्छा तरीका है कि,आप ई-संगोष्ठी
शब्द का उपयोग कीजिए और कोष्ठक में वेबिनार
भी लिख दीजिए। कुछ समय तक दोनों चलाएं और बाद में अंग्रेजी वाला हटा दें।
यशोभान तोमर-
हिंदी में इसे वैद्युतकी
कहते हैं,लेकिन वै-संगोष्ठी
कैसा लगेगा,बताईये जरा ?
(सौजन्य: वैश्विक हिंदी सम्मेलन,मुंबई)