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आँखें वरदान

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

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आँखों से जग देखते,हैं आँखें वरदान।
आँखों में संवेदना,आँखों में अभिमानll

आँखें करुणामय दिखें,जब आँखों में नीर।
आँखों में अभिव्यक्त हो,औरों के हित पीरll

आँखों में गंभीरता,और कुटिलता ख़ूब।
आँखों में उगती सतत,पावन-नेहिल दूबll

आँखें,आँखों से करें,चुपके से संवाद।
उर हो जाते उस घड़ी,सचमुच में आबादll

आँखें नित सच बोलतीं,दिखता नहीं असत्य।
आँखों के आवेग में,छिपा एक आदित्यll

आँखों में रिश्ता दिखे,आँखों में अहसास।
आँखों में ही आस हो,आँखों में विश्वासll

आँखों में संवेदना,आँखों में अनुबंध।
आँखों-आँखों से बनें,नित नूतन संबंधll

आँखों से ही क्रूरता,आँखों से अनुराग।
आँखों से अपनत्व के,गुंजित होते रागll

आँखें पीड़ा,दर्द के,गाती हैं जब गीत।
अश्रु झलकते,तब रचे शोक भरा संगीतll

आँखें गढ़तीं मान को,आँखें ही अपमान।
आँखों की भाषा पढ़े,वह नर बहुत सुजानll

आँखों में छिपकर रहें,जाने कितने राज़।
आँखें हैं यदि ज्योति बिन,तो नर बिन सुर,साज़ll

आँखों में हो दिव्यता,दिखते तीनों काल।
आँखें देखें यदि मलिन,जीवन बने बवालll

आँखों को नैतिक रखें,तो मिलता उत्कर्ष।
आँखें नेहिल तो मिले,जीवन में नित हर्षll

परिचय-प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।