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अपराध-बोध

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

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“सुनो जी,ये जो छत के कोने में जो ततैयों ने अपना घर बना लिया है,उसको हटा देना चाहिए न ?”
हाँ,बिलकुलl
पर क्या पाप नहीं लगेगा ?

“कैसा पाप ?अरे घर तो हमारा है। ततैयों ने तो ज़बरदस्ती अतिक्रमण कर रखा है।”
“तो,तो हम उनके घर को संडे को हटा देते हैं।”
“ठीक हैl”
और वर्मा जी ने संडे को एक लकड़ी के सिरे में केरोसिन से भीगा कपड़ा बांध कर,उसमें आग लगाकर ततैयों के छत्ते को जला दिया। कुछ ततैयां जल गईं,और कुछ बचकर भाग निकली थीं। इस बात को २ साल बीत गए हैं। परिदृश्य बदलता है,और वर्मा जी से आकर एक सरकारी कर्मचारी मिलता है।
“वर्मा जी,आपका यह मकान सरकारी ज़मीन पर बना है,इसे एक सप्ताह में आप हटा दीजिए,नहीं तो इसे नगर निगम का बुल्डोजर आकर गिरा देगा। यह लीजिए नोटिस।”
“पर,मैंने तो इसे बिल्डर से ख़रीदा है।”
“उसने आपको धोखा दिया। उसने इसे ग़ैर कानूनी तरीके से बनाया था। यह तो सरकारी ज़मीन है।”
वर्मा जी ने बहुत भाग-दौड़ की,अदालत गए,अधिकारियों के सामने गिड़गिड़ाए,पर कुछ न हुआ,और मियाद ख़त्म होते ही सरकारी बुल्डोजर ने आकर उनका मकान गिरा दिया।वह रो-पीटकर चुप हो गए।
सरकारी बुलडोजर तो अपना काम करके चला गया था,पर वर्मा जी व उनका पूरा परिवार अपने टूटे-फूटे मकान के अवशेष के पास आ-आकर कई दिनों तक रोते-बिलखते रहे थे। वर्मा जी,२ साल पुरानी यादों में पहुंच गए,जब उनके व्दारा ततैयों के घर को उजाड़ देने के बाद ततैयां किस तरह से बदहवास होकर उस उजड़े घर के चारों ओर चक्कर लगाती रही थीं।
वर्मा जी,आज ततैयों के दर्द को,अपन दरद मानकर शिद्दत के साथ महसूस कर रहे थे,और अपने को अक्ष्म्य अपराधी मान रहे थे।

परिचय-प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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