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अनुशासन का पालन कर लो

आशा आजाद
कोरबा (छत्तीसगढ़)

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कोरोना है बड़ी बीमारी,कहते हैं कोविड उन्नीस।
खूब वायरस फैल रहा है,देशवासियों को है टीसll

चीन देश की ये बीमारी,देश-देश में फैली आज।
हुआ लाकडाउन है देखो,बंद पड़े हैं सबके काजll

छोटे-छोटे बच्चे जाने,कोरोना यह है अभिशाप।
घर के भीतर सबजन रहते,छोड़े हैं सब मेल-मिलापll

भारत के मानुष सब ज्ञानी,मिलकर देते हैं सब साथ।
ईश्वर को है नित्य पूजते,घर पर टेक रहे हैं माथll

दूर भगेगी ये बीमारी,अनुशासन का रख लो ध्यान।
पुलिस प्रशासन करे सुरक्षा,उनको सब देवें सम्मानll

डाक्टर की सेवा को मानो,देते सबको जीवन दान।
मानवता के भाव धरे है,नर्स सभी हैं आज महानll

मॉस्क लगाना जिम्मेदारी,समझें मानुष नेक सुजान।
एक हाथ की दूरी रख लें,वर्तमान का है ये ज्ञानll

अनुशासन का पालन कर लो,रख लें थोड़ा मन में धीर।
नित्य सभी रखें सावधानी,बीमारी है ये गंभीरll

अनुशासन के पालन से ही,नवपरिवर्तन होगा मान।
हिम्मत और साहस है रखते,देशवासियों की पहचानll

मिथ्या बातें छोड़ सभी को,मानवता का होवें कर्म।
सर्तकता का ध्यान धरें ये,सभी समझ लें अपना धर्मll

देह संक्रमित कभी न होवें,साबुन से सब धोवें हाथ।
सेनेटाइज रखना होगा,मिलकर देवें सबजन साथll

घर के अंदर स्वस्थ रहेगें,हिम्मत ही आएगी काम।
अगर संक्रमित हो जाएँगे,बहुत बुरा होगा परिणामll

नवपरिवर्तन करना हमको,हृदय समाएगी ये सोच।
ग्रसित हुए जो बीमारी से,नहीं करें कुछ भी संकोचll

करना दृढ़ संकल्प हमें ये,रोग मिटाएँगे हम साथ।
हर मुश्किल से लड़ जाते हैं,सभी बढ़ायें अपने हाथll

घर-परिवार सुरक्षित होगा,तब ही जीवन का है सार।
कोरोना जब मिट जाएगा,देश रचेगा नव आधारll

सेनेटाइज रखना होगा,रखें स्वच्छता का सब ध्यान।
साबुन से सब हाथ को धोवें,रहें सुरक्षित बाँटें ज्ञानll

खाँसी हो बुखार जकड़ ले,शीघ्र करायें सब ईलाज।
खतरनाक वायरस न घेरे,सतर्कता का दें आगाजll

श्वांस अगर भारी लगती हो,अस्पताल जायें सब छोड़।
असाधारण रोग न समझें,मानुष देता है दम तोड़ll

अनुसाशन की रोक से सुन लें,स्वस्थ रहेगा अपना देश।
दशा बदल दें वर्तमान की,हमें बदलना है परिवेशll

अंतस मन से प्रण ये कर लें,सभी मिटाएँगे मिल रोग।
राह एकता की बस होवें,साथ चलें भारत के लोगll

परिचय-आशा आजाद का जन्म बाल्को (कोरबा,छत्तीसगढ़)में २० अगस्त १९७८ को हुआ है। कोरबा के मानिकपुर में ही निवासरत श्रीमती आजाद को हिंदी,अंग्रेजी व छत्तीसगढ़ी भाषा का ज्ञान है। एम.टेक.(व्यवहारिक भूविज्ञान)तक शिक्षित श्रीमती आजाद का कार्यक्षेत्र-शा.इ. महाविद्यालय (कोरबा) है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत आपकी सक्रियता लेखन में है। इनकी लेखन विधा-छंदबद्ध कविताएँ (हिंदी, छत्तीसगढ़ी भाषा)सहित गीत,आलेख,मुक्तक है। आपकी पुस्तक प्रकाशाधीन है,जबकि बहुत-सी रचनाएँ वेब, ब्लॉग और पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हुई हैं। आपको छंदबद्ध कविता, आलेख,शोध-पत्र हेतु कई सम्मान-पुरस्कार मिले हैं। ब्लॉग पर लेखन में सक्रिय आशा आजाद की विशेष उपलब्धि-दूरदर्शन, आकाशवाणी,शोध-पत्र हेतु सम्मान पाना है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जनहित में संदेशप्रद कविताओं का सृजन है,जिससे प्रेरित होकर हृदय भाव परिवर्तन हो और मानुष नेकी की राह पर चलें। पसंदीदा हिन्दी लेखक-रामसिंह दिनकर,कोदूराम दलित जी, तुलसीदास,कबीर दास को मानने वाली आशा आजाद के लिए प्रेरणापुंज-अरुण कुमार निगम (जनकवि कोदूराम दलित जी के सुपुत्र)हैं। श्रीमती आजाद की विशेषज्ञता-छंद और सरल-सहज स्वभाव है। आपका जीवन लक्ष्य-साहित्य सृजन से यदि एक व्यक्ति भी पढ़कर लाभान्वित होता है तो, सृजन सार्थक होगा। देवी-देवताओं और वीरों के लिए बड़े-बड़े विद्वानों ने बहुत कुछ लिख छोड़ा है,जो अनगिनत है। यदि हम वर्तमान (कलयुग)की पीड़ा,जनहित का उद्धार,संदेश का सृजन करें तो निश्चित ही देश एक नवीन युग की ओर जाएगा। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिंदी भाषा से श्रेष्ठ कोई भाषा नहीं है,यह बहुत ही सरलता से मनुष्य के हृदय में अपना स्थान बना लेती है। हिंदी भाषा की मृदुवाणी हृदय में अमृत घोल देती है। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति की ओर प्रेम, स्नेह,अपनत्व का भाव स्वतः बना लेती है।”

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