उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश)
***************************************************
बलिया (उत्तरप्रदेश)
***************************************************
`दिशा` काली बनकर आओ ना,
पाप बढ़ा है पवित्र धरा पर
आकर तुम ही इसे मिटाओ ना,
`दिशा` काली बनकर आओ ना।
पापियों का संहार करो तुम,
नर के रूप में घूमते भेड़िए
धरती से इन्हें मिटाओ ना,
`दिशा` काली बनकर आओ ना।
दिन-दिन घटना बढ़ती जा रही,
मानव को तनिक ना शर्मा आ रही
इन हैवानों पर कहर बरसाओ ना,
`दिशा` काली बनकर आओ ना।
तब दर्द से दिल दहला होगा,
जब कातिलों ने किया हमला होगा
तुम उनका भी दिल दहलाओ ना,
`दिशा` काली बनकर आओ ना।
तुम लो अवतार नर चण्डी का,
हर लो शीश हर घमंडी का
धरा से घमंडियों को मिटाओ ना,
`दिशा` काली बनकर आओ ना।
नारी पूजने का ढोंग यहाँ,
हर रोज़ वे लूटी जाती हैं
तुम इन ढोंगियों को मिटाओ ना,
`दिशा` काली बनकर आओ ना।
लगता है,पाप पुण्य पर भारी है,
तभी तो लुप्त कृष्ण मुरारी हैं
तुम,उनकी भूमिका निभाओ ना,
`दिशा` काली बनकर आओ ना।
हे राम! कहाँ धनुष और बाण तेरा,
हे अल्लाह! कहाँ है ईमान तेरा
तुम आश्चर्य कोई दिखलाओ ना,
`दिशा` काली बनकर आओ ना।
हे ईश! कहाँ ऐश्वर्य तेरा,
कहाँ दया और प्यार है ?
तुम आकर हमें दिखाओ ना,
`दिशा` काली बनकर आओ ना।
कहे `उमेश` तब हम टूट गए,
जब देवी की आबरू लूट गएl
ऐसी दुर्घटना को जड़ से मिटाओ ना,
`दिशा` काली बनकर आओ ना…
`दिशा` काली बनकर आओ नाll
परिचय–उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं। लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।