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काली बनकर आओ…

उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश) 
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`दिशा` काली बनकर आओ ना,
पाप बढ़ा है पवित्र धरा पर 
आकर तुम ही इसे मिटाओ ना, 
`दिशा` काली बनकर आओ ना। 
 
पापियों का संहार करो तुम, 
नर के रूप में घूमते भेड़िए 
धरती से इन्हें मिटाओ ना, 
`दिशा` काली बनकर आओ ना। 
 
दिन-दिन घटना बढ़ती जा रही, 
मानव को तनिक ना शर्मा आ रही 
इन हैवानों पर कहर बरसाओ ना, 
`दिशा` काली बनकर आओ ना। 
 
तब दर्द से दिल दहला होगा, 
जब कातिलों ने किया हमला होगा 
तुम उनका भी दिल दहलाओ ना, 
`दिशा` काली बनकर आओ ना। 
 
तुम लो अवतार नर चण्डी का, 
हर लो शीश हर घमंडी का 
धरा से घमंडियों को मिटाओ ना, 
`दिशा` काली बनकर आओ ना। 
 
नारी पूजने का ढोंग यहाँ, 
हर रोज़ वे लूटी जाती हैं 
तुम इन ढोंगियों को मिटाओ ना, 
`दिशा` काली बनकर आओ ना। 
 
लगता है,पाप पुण्य पर भारी है, 
तभी तो लुप्त कृष्ण मुरारी हैं 
तुम,उनकी भूमिका निभाओ ना, 
`दिशा` काली बनकर आओ ना। 
 
हे राम! कहाँ धनुष और बाण तेरा, 
हे अल्लाह! कहाँ है ईमान तेरा 
तुम आश्चर्य कोई दिखलाओ ना, 
`दिशा` काली बनकर आओ ना। 
 
हे ईश! कहाँ ऐश्वर्य तेरा, 
कहाँ दया और प्यार है ? 
तुम आकर हमें दिखाओ ना, 
`दिशा` काली बनकर आओ ना। 
 
कहे `उमेश` तब हम टूट गए, 
जब देवी की आबरू लूट गएl 
ऐसी दुर्घटना को जड़ से मिटाओ ना, 
`दिशा` काली बनकर आओ ना…  
 `दिशा` काली बनकर आओ नाll 
परिचयउमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं। लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।

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