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नारी की पीड़ा

सुशीला रोहिला
सोनीपत(हरियाणा)
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युग युगान्तरों का है नारा,
जहाँ नारी की हो पूजा
देवताओं का वास वहां,
भारत माता की धरा पर
क्यों होती अग्नि परीक्षा ?यह कहावत-कहावत रही,
नारी भोग का भक्षण क्यों हुई
कहीं लुटा कही दहेज की बलि,
द्यूत के दांव पर क्यों लगी ?

नारी ही क्यों दे अग्नि परीक्षा!
प्रेमी बन कर पौरूष दिखाता
दरिंदा बन फिर हवस में पीता,
जिन्दा मुर्दाग्नि में सुलगाया।

मेरा प्रश्न है सुनो हे विश्वजन!
समाज में क्यों वे पाते मान
नारी की दुर्दशा में जिनका हाथ, जिंदा ही क्यों उसे जलाया ?
कानून  की जकड़न में लटकते,
कानून के रक्षक ही भक्षक बनते
नपुसंक की पोशाक पहनाएं उन्हें,
जीवन की सही डगर दिखाएं उन्हें।

जब-जब नारी के सतीत्व पर है आँच,
द्रौपदी,काली,अम्बे,दुर्गा बनी संहारक
आत्मा का हनन,सद्विचार का गमन,
कामुक,भोगी,आतंकी बने मूर्ख हैवान।

विकास की डगर जितनी लम्बी,
संस्कारों की है उतनी छोटी
मानव धर्म अपना क्यों भुला,
दूषित सोच में ही वह फूला।

मन की कोख में जन्मते कुविचार,
कर्म ही निर्धारित करता सजा
हे नेताओं,न्यायाधीशों अब ना हो देरी,
कर्म-कानून बने कुछ ऐसा।
युगों-युगों तक माँ-बहन की हो सुरक्षा,
तत्वज्ञान की चहूँओर हो ज्ञानशाला
शिक्षा,राजनीति धर्म-कर्म का योग,
नारी नहीं है बस भोग।
भारतमाता विकसित तब जाने,
मन से दूषित भाव मिटाए
सदभावना की शक्ति का हो संचार,
तब भारत विश्व गुरु  महान॥
परिचयसुशीला रोहिला का साहित्यिक उपनाम कवियित्री सुशीला रोहिला हैl इनकी जन्म तारीख ३ मार्च १९७० और जन्म स्थान चुलकाना ग्राम हैl वर्तमान में आपका निवास सोनीपत(हरियाणा)में है। यही स्थाई पता भी है। हरियाणा राज्य की श्रीमती रोहिला ने हिन्दी में स्नातकोत्तर सहित प्रभाकर हिन्दी,बी.ए., कम्प्यूटर कोर्स,हिन्दी-अंंग्रेजी टंकण की भी शिक्षा ली हैl कार्यक्षेत्र में आप निजी विद्यालय में अध्यापिका(हिन्दी)हैंl सामाजिक गतिविधि के तहत शिक्षा और समाज सुधार में योगदान करती हैंl आपकी लेखन विधा-कहानी तथा कविता हैl शिक्षा की बोली और स्वच्छता पर आपकी किताब की तैयारी चल रही हैl इधर कई पत्र-पत्रिका में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका हैl विशेष उपलब्धि-अच्छी साहित्यकार तथा शिक्षक की पहचान मिलना है। सुशीला रोहिला की लेखनी का उद्देश्य-शिक्षा, राजनीति, विश्व को आतंकवाद तथा भ्रष्टाचार मुक्त करना है,साथ ही जनजागरण,नारी सम्मान,भ्रूण हत्या का निवारण,हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा बनाना और भारत को विश्वगुरु बनाने में योगदान प्रदान करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-हिन्दी है l आपकी विशेषज्ञता-हिन्दी लेखन एवं वाचन में हैl

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