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बेघर

डॉ.हेमलता तिवारी
भोपाल(मध्य प्रदेश)
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चलो अच्छा हुआ,
परदेश की भी दुनिया देख ली
कुछ घर देख लिए,
कुछ सड़कें देख लींl

रिश्ते निभाते-निभाते,
कुछ मुस्कान खरीद ली
बाहर से भरे-पूरे रहे,
भीतर की तन्हाई देख लीl

दो रोटी की दरकार ने,
बेघर होती जिन्दगी देख ली
गाँव के सूनेपन की परछाईं,
दिल में उतरते-बसते देख लीl

दिल के आँसू आँख तक,
कभी-कभी ही आए
अपनों को देखने को,
कभी बहे कभी छलछलाएl

रिश्तों को बण्डल में बांध कर,
आले में रख आए
तन तो यहीं रहा,
मन छोड़ आएl

किसी भी पल नहीं भूले उन्हें हम,
हर घड़ी हर क्षण बहुत याद आए
कम्बख्त जिन्दगी हमें,
बहुत तड़पाए बहुत सताएl

अब जो आए तो,
सबके साथ जी लेंगे
नेह का चूल्हा सुलगा लेंगे,
आस के निवाले खा लेंगेl

कुछ सपने ओढ़-बिछा लेंगे,
अपने गाँव को महका लेंगेl
और घूंट-घूंट साँस पी लेंगे,
और घूंट-घूंट साँस पी लेंगे

और घूंट-घूंट साँस पी लेंगेll

परिचय-डॉ.हेमलता तिवारी का जन्म १४ नवम्बर १९६५ को सागर में हुआ हैl वर्तमान में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में निवास है,जबकि स्थायी पता भोपाल(मध्य प्रदेश) हैl बी.एस-सी,(जीवविज्ञान)बी.ए.(संगीत), एम.ए (संगीत, इतिहास, दर्शन,लोक प्रशासन,एजूकेशनल सायकोलॉजी, क्लीनिकल साय.,आर्गेनाइजेशनल साय.)एल.एल.बी.,पी.जी.डी.(लेबर लॉ एंड इण्डस्ट्रियल रिलेशन)सहित पी.एच-डी.(इन क्लीनिकल साय.), एम.बी.ए.(वित्त और मानव संसाधन) की शिक्षा प्राप्त डॉ.तिवारी का कार्य क्षेत्र-नौकरी हैl सामाजिक गतिविधि के तहत आप व्यक्तित्व विकास प्रशिक्षक,परामर्शी सहित ज्योतिष लेखन में सक्रिय हैंl इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी एवं आलेख हैl हिन्दी सहित अंग्रेजी का भाषा ज्ञान रखती हैं।

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