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साधारण-सी नायिका हूँ

तृषा द्विवेदी ‘मेघ’
उन्नाव(उत्तर प्रदेश)
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हे श्याम! मैं द्वापर की राधा नहीं,न ही मैं मीरा हूँ,
मुझमें इतना समर्पण कहाँ है कृष्ण!
मैं तो इस युग की एक साधारण-सी नायिका हूँ,
मुझे रुक्मिणी-सा अधिकार चाहिए,
दे दो न मुझे मेरे हिस्से का वो प्रेम,
जो आपसे अपेक्षित है।
मैं मन से विलग तुम्हें नहीं कर पाऊँगी,
मैं तुमसे दूर नहीं रह पाऊँगी
तुम्हीं तो हो मेरे आराध्य देव,
मैं तुम्हें ही तो पाने की साधना कर रही हूँ
मैं तुमसे ही अपनी पहचान चाहती हूँ,
मैं तुम्हें ही तो हर जन्म में पाना चाहती हूँ
मैं तुम्हारी सहचर बनना चाहती हूँ,
संग-संग हर सुख-दुःख बाँटना चाहती हूँ
मैं तुम्हारी सहधर्मिणी बनना चाहती हूँ,
जन्म-जन्मांतर तक का नाता जोड़ना चाहती हूँ।
तुम भी निभाओ न मुझसे प्रीति,
जैसे मैं निभा रही हूँ।
कहो न कि मेरा अस्तित्व तुझमें,
विलीन हो गया है-
सदा-सर्वदा के लिए॥

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