कुल पृष्ठ दर्शन : 188

You are currently viewing उत्सुक हूँ आने को…

उत्सुक हूँ आने को…

विजय मेहंदी
जौनपुर(उत्तरप्रदेश)
****************************************

कोख में पल रही कन्या की माँ से गुहार

धरा है उस बगिया की माँ तू,
जिस बगिया की मैं अंकुर हूँ।
मैं उत्सुक हूँ,विकसित हो,
उस बगिया में आने को
हरित पल्लवित पुष्पलता बन,
तेरी बगिया महकाने को।
पर मुझको भय सता रहा,
कुरीति-परस्ती जता रहा।
लौह-यंत्र वार से मुझे कुंद कर,
माँ-कोख धरा से अलग-थलग कर
कचरे में ना फेंकी जाऊं।
ऐ मेरी ममतामई माँ,तू ऐसा होने से रोक,
तू टोक उसे जो करने को रहा हो ऐसा सोच
ताकि मैं भी उस दुनिया में आ पाऊँ,
नवांकुर से हरित-लता बन,
तेरी बगिया में छा जाऊँ।
मैं तुझसे वादा करती माँ,
हूँ खुद में साहस भरती माँ,
नहीं बनूँगी बोझ किसी पे
मैं तन-मन से मेहनत करके,
सूखा,धूप,छांव सह करके,
चोटी पर लहराऊंगी।
तेरी बगिया का गौरव बन,
जग में नाम कमाऊंगी।
पहले जग में मुझे आने तो दे,
फिर करके इसे दिखाऊँगी॥

Leave a Reply