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निजी जीवन को बेहतर बनाएं

डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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बड़ी संख्या में लोगों का व्यक्तिगत जीवन बुरे दौर से गुजर रहा है। इसका कारण है अपमान और तनाव। आप जानें कि,अपनी निजी जिंदगी को आप किस तरह खुशनुमा बनाकर रख सकते हैं। ताजा आँकड़ों के अनुसार इस समय हमारे समाज में अपमान (एंग्जाइटी) और तनाव के मरीजों की संख्या लगभग दोगुनी हो चुकी है। मनोरोगियों का इलाज कर रहे चिकित्सकों का कहना है कि ‘तालाबंदी’ में ढील मिलने के बाद ऐसे रोगियों की संख्या बहुत अधिक बढ़ गई है,जो स्ट्रेस और एंग्जाइटी के कारण अपनी निजी जिंदगी को मनोरंजित नहीं कर पा रहे हैं।
आप इस बात को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं कि ‘कोरोना’ विषाणु के कारण पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है। हमारे देश में भी ऐसे लोगों की बड़ी संख्या है जिनकी नौकरी चली गई है या व्यापार घाटे में चल रहा है। इस कारण लोग आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं तो कुछ भविष्य की अनिश्चितता को लेकर तनाव झेल रहे हैं। इसका असर बड़ी संख्या में लोगों के मानसिक,भौतिक और निजी स्वास्थ्य पर दिख रहा है। किसी बीमारी से ग्रसित होकर अस्पताल के चक्कर लगाना और दवाई लेने में हजारों रुपए खर्च करने से कहीं बेहतर है कि आप अच्छी जिंदगी बिताएं।
तनाव के कारण हॉर्मोन्स में बदलाव और हॉर्मोन्स के असंतुलन के कारण मन ठीक ना रहना भी जिंदगी को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। इस बात में कोई दोराय नहीं है कि आर्थिक,सामाजिक और भावनात्मक रूप से हम सभी एक कठिन दौर से गुजर रहे हैं,लेकिन हम सभी को हिम्मत रखने की जरूरत है,क्योंकि रो कर काटें या हँस कर बिताएं,इस कठिन समय का सामना तो हम सभी को करना ही है।महामारी के दौर में घर से बाहर निकलना खतरे से खाली नहीं है,लेकिन खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखना भी बेहद जरूरी है। इसलिए आप घर में ही छत, बालकनी या हॉल में योगासन जरूर करें,रस्सी भी कूद सकते हैं।
कच्चा प्याज और लहसुन बहुत ही गुणकारी सब्जियां हैं। भोजन में इनका उपयोग करने के साथ ही आप इनका कच्चा प्याज और कच्चा लहसुन भी खाएं। दोनों ही आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और हॉर्मोनल संतुलन को बनाए रखने में मदद करती हैं।

ऐसे ही रात को पानी में भिगोकर रखे गए बादाम को सुबह छील कर सेवन करें। बादाम गुणों से भरपूर एक सूखा फल है,जो शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूती देने का काम करता है। यह यौन इच्छा में आई कमी को दूर करने का कार्य करता है। इसके अलावा एवकाडो फल खाएँ। यह फल कार्डियो वस्कुलर स्वास्थ्य को सही रखने का काम करता है। इसके अलावा प्रोटीन का सबसे सस्ता और अच्छा स्त्रोत सोयाबीन,मूंगफली और चने को बराबर मात्रा में लेकर बर्फी बनाकर उपयोग कर सकते हैं।
आपकी सकारात्मक सोच के लिए कुछ सत्साहित्य,धार्मिक,महापुरुषों की जीवन गाथा के साथ भावना योग का चिंतन बहुत लाभकारी हो सकता हैं। जैसे-आज पूरे दिन शांत रहूँगा-मैं संयम से रहूँगा,आज पूरे दिन सकारात्मक रहूँगा और मैं खुश हूँ आदि।
इस समय बहुत धैर्य की जरुरत है। इस समय ‘थोड़ा है,थोड़े की जरूरत है’,इस भावना को बार-बार दुहराना चाहिए। कुछ समय व्यायाम,ध्यान के लिए भी निकालना चाहिए। नकारात्मक सोच को किसी भी तरह हावी न होने दें।

परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।