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अधूरे ख्वाब

रोशनी दीक्षित
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)
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काव्य संग्रह हम और तुम से


कुछ अधूरे ख्वाबों को,
आओ हम पूरा करें।
हम और तुम अब अलग
नहीं हैं,आओ ये स्वीकार करें।

मैं नैया,पतवार बनो तुम,
मैं राधा तुम श्याम बनो।
प्रेम में डूबें एक-दूजे के,
पार ये मझधार करें।
कुछ अधूरे ख्बावों को…

मैं पंख,उड़ान बनो तुम,
मैं वायु,तुम प्राण बनो।
पंख खोलकर आसमान में,
ऊँची एक उड़ान भरें।
कुछ अधूरे ख्वाबों को…

मैं गीत,संगीत बनो तुम,
मैं वीणा तुम तान बनो।
सात सुरों की छेड़ें सरगम,
प्रेमराग की बात करें।
कुछ अधूरे ख्बावों को…

कुछ अधूरे ख्बावों को,
आओ हम पूरा करें।
‘हम और तुम अब अलग
नहीं हैं,आओ ये स्वीकार करें॥

परिचय- रोशनी दीक्षित का जन्म १७ जनवरी १९८० को जबलपुर (मप्र)में हुआ है। वर्तमान बसेरा जिला बिलासपुर (छत्तीसगढ़) स्थित राजकिशोर नगर में है। स्नातक तक शिक्षित रोशनी दीक्षित ने एनटीटी सहित बी.एड. एवं हिंदी साहित्य से स्नातकोत्तर भी किया है। इनका कार्य क्षेत्र-शिक्षिका का है। लेखन विधा-कविता,कहानी,गज़ल है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी भाषा का प्रचार व विकास है।

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