कुल पृष्ठ दर्शन : 556

You are currently viewing तुम्हारी आदत

तुम्हारी आदत

मयंक वर्मा ‘निमिशाम्’ 
गाजियाबाद(उत्तर प्रदेश)

***************************************

काव्य संग्रह हम और तुम से


तुम्हारी ऐसी आदत हो गई है,
तुम्हारी आदत,मेरी आदत हो गई है।
तुम्हारी आँखों से छलकते सपने,
हर फरमाइश,मेरी चाहत हो गई है।

कुछ तो बदल रहा है,ऐसा तो नहीं था मैं,
तुम्हारी कड़वी बोली अब सताती है मुझे।
हर पल मेरा ज़िक्र,हर वक्त बेवजह फिक्र,
तुम्हारी बेझिझक शिकायतें,अब लुभाती हैं मुझे।

कुछ नए ख्वाब,कुछ न‌ई मंजिलें,
कुछ न‌ई हसरतें दिल में जिंदा हो गई हैं।
तुम्हें खोने का डर अब घर कर गया है,
बेफिक्र था जिस ज़िंदगी से,संजीदा हो गई है।

तुम्हारी साँसों की आवाज़,उन आहों की गहराई,
तुम्हारी लंबी ख़ामोशी,कुछ कह जाती हैं मुझे।
समझ नहीं आता,कैसे समझाऊँ तुझे,
पर तुम्हारी बातें समझ आती हैं मुझे।

किस्सों का कोई छोर नहीं,न जाने क्या क्या कहता हूँ,
मन का हर राज़ बताने के इंतज़ार में रहता हूँ।
पल पंख लगाए उड़ते हैं,जब साथ तुम्हारे होता हूँ,
याद यही है संग तुम्हारे,मैं हँसता रहता हूँ।

सुबह की लाली से रात की चाँदनी तक,
मेरे मन के हर भाव की वजह तुम हो।
हिस्सा बन चुकी हो मेरे जीवन का इस कदर,
कि मेरे ‘हम’ में अब,बस तुम ही तुम हो॥

परिचय-मयंक वर्मा का वर्तमान निवास नई दिल्ली स्थित वायुसेना बाद (तुगलकाबाद)एवं स्थाई पता मुरादनगर,(ज़िला-गाजियाबाद,उत्तर प्रदेश)है। उपनाम ‘निमिशाम्’ है। १० दिसम्बर १९७९ को मेरठ में आपका जन्म हुआ है। हिंदी व अंग्रेज़ी भाषा जानने वाले श्री वर्मा ने बी. टेक. की शिक्षा प्राप्त की है। नई दिल्ली प्रदेश के मयंक वर्मा का कार्यक्षेत्र-नौकरी(सरकारी) है। इनकी लेखन विधा-कविता है। लेखनी का उद्देश्य-मन के भावों की अभिव्यक्ति है। पसंदीदा हिंदी लेखक व प्रेरणापुंज डॉ. पूजा अलापुरिया(महाराष्ट्र)हैं।

Leave a Reply