कुल पृष्ठ दर्शन : 357

लघुकथा को हिंदी साहित्य विधा में सम्मानजनक स्थान दिलाने में इंदौर की बड़ी भूमिका

अभिनंदन-सम्मान…..

इंदौर(मप्र)।

लघुकथा लिखना आसान नहीं चुनौतीपूर्ण है। डाॅ. योगेन्द्रनाथ शुक्ल ने इस चुनौती को स्वीकार किया। लघुकथा को हिंदी साहित्य की विधा के रूप में सम्मानजनक स्थान दिलाने में डाॅ. शुक्ल सहित इंदौर के वरिष्ठ लघुकथाकारों की बड़ी भूमिका है।
साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश के निदेशक डाॅ. विकास दवे ने यह बात कही। वरिष्ठ साहित्यकार और प्राध्यापक डाॅ. योगेन्द्रनाथ शुक्ल के अभिनंदन समारोह में आप बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। प्रीतमलाल दुआ सभागृह में डाॅ. शुक्ल के शिष्यों और मित्रों द्वारा यह समारोह आयोजित किया गया। समारोह की अध्यक्षता देवी अहिल्या विश्वविद्यालय पत्रकारिता और जनसंचार अध्ययनशाला की प्रमुख डाॅ. सोनाली सिंह ने की। विशेष अतिथि वरिष्ठ प्राध्यापक डाॅ. पुष्पेंद्र दुबे ने डाॅ. शुक्ल को लघुकथा का सौम्य सत्याग्रही बताया तो वरिष्ठ लेखिका श्रीमती पदमा राजेंद्र ने डाॅ. शुक्ला के सम्मान में उन पर आधारित स्वरचित कविता का पाठ किया।
अपने अभिनंदन के प्रति उत्तर में डाॅ. शुक्ल ने कहा कि शिष्यों,मित्रों और साहित्य प्रेमियों से मिले इस सम्मान से वह अभिभूत हैं और आज उनके शब्द पलायन कर गए हैं।
समारोह में ५ श्रेष्ठ रचनाकारों- प्रतापसिंह सोढ़ी, श्रीमती ज्योति जैन,देवेन्द्र सिंह सिसौदिया,डाॅ. शोभा जैन और डाॅ. गरिमा संजय दुबे का सम्मान भी आयोजन समिति की ओर से किया गया। स्वागत भाषण समिति की अध्यक्ष श्रीमती सुषमा दुबे ने और अतिथियों व सम्मानित रचनाकारों का परिचय संयोजक मुकेश तिवारी ने दिया। सरस्वती वंदना श्रीमती रश्मि चौधरी ने प्रस्तुत की। स्वागत श विजयसिंह चौहान और अभय शुक्ला ने व संचालन डाॅ. अंजना मिश्र ने किया। आभार डाॅ. दीपा मनीष व्यास ने माना। इस मौके पर समारोह में राष्ट्रीय कवि सत्यनारायण सत्तन,वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण कुमार अष्ठाना,वरिष्ठ साहित्यकार सूर्यकांत नागर, हरेराम वाजपेयी,वरिष्ठ लघुकथाकार सतीश राठी, श्रीमती अमरवीर चड्ढा सहित बड़ी संख्या में लेखकगण मौजूद रहे।

Leave a Reply