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गणेश जी की संरचना में छुपा है बड़ा अर्थ

गोपाल मोहन मिश्र
दरभंगा (बिहार)
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श्री गणेश चतुर्थी स्पर्धा विशेष…..

भगवान गणेश के ४ हाथ,४ दिशाओं के प्रतीक हैं,जिसका मतलब है कि ईश्वर सर्वव्यापक हैं I संसार में जो कुछ भी घटित हो रहा है,भगवान उससे अनभिज्ञ नहीं हैं I भगवान गणेश के बड़े-बड़े कान हमें यह सीख देते हैं कि जीवन में अधिक से अधिक लोगों को सुनना चाहिए,क्योंकि सुनने से ही ज्ञान की वृद्धि होती है I इसी तरह उनका वाहन मूषक भी एक बड़ी सीख देता है। जिस तरह विद्वान् व्यक्ति किसी मुद्दे को पढ़ते हुए ज्ञान के उस कोने तक पहुँच जाता है, जहाँ उसके सिवा और कोई नहीं जा सकताI उसी तरह चूहा भी अपने लक्ष्य को खोजता हुआ संकीर्ण से संकीर्ण कोनें में पहुंच जाता हैI वो एक के बाद एक हर परत को कठोर मेहनत के साथ लगातार काटता रहता है। इतना ही नहीं,जिस तरह ज्ञानी हमेशा आलस का शत्रु होता है,उसी तरह चूहा भी आलस का दुश्मन होता है। वो सदैव फुर्तीला एवं चंचल स्वभाव का होता है I भगवान गणेश यहाँ पर विश्व को यह संदेश देते हैं कि महत्व आकार का नहीं,बल्कि ज्ञान और गुण का है I जीवन में आगे बढ़ने का वाहन आकार में नहीं,बल्कि मूषक की भांति ज्ञान और गुण में बड़ा होना चाहिए I
साधन के रूप में हम सब स्वयं भी गणेश हैं, यानि कि अगर हमें अपने अंदर के गणेश का बोध हो जाए,तो स्वयं के साथ-साथ हम संसार की बाधाएं भी दूर कर सकते हैं I जरूरत है खुद की शक्तियों को पहचानने की। हम इसलिए सदैव परेशान रहते हैं, क्योंकि अपनी समस्याओं का कारण एवं निवारण स्वयं में नहीं,अपितु दूसरों में देखते हैं। जिस दिन अपनी समस्याओं का निवारण हम खुद से करने लग जाएंगे,जीवन में खुशियों का संचार हो जाएगा।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान गणेश को केतु यानि साधन माना गया है। तात्पर्य यह है कि संसार में जो भी कुछ साधन के रूप में उपलब्ध है,वो गणेश हैं। उदाहरण के लिए पहनने के लिए वस्त्रों की आवश्यकता होती है,तो वस्त्र गणेश हैं। वस्त्र बनाने के लिए मशीनों की आवश्यकता होती है,तो वह मशीन भी गणेश है। उसी प्रकार मशीनों को चलाने के लिए श्रमिकों की आवश्यकता है, तो वह सभी श्रमिक भी गणेश हैं। इस तरह से संसार में जो कुछ भी है वो सिर्फ और सिर्फ गणेश है।

परिचय–गोपाल मोहन मिश्र की जन्म तारीख २८ जुलाई १९५५ व जन्म स्थान मुजफ्फरपुर (बिहार)है। वर्तमान में आप लहेरिया सराय (दरभंगा,बिहार)में निवासरत हैं,जबकि स्थाई पता-ग्राम सोती सलेमपुर(जिला समस्तीपुर-बिहार)है। हिंदी,मैथिली तथा अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले बिहारवासी श्री मिश्र की पूर्ण शिक्षा स्नातकोत्तर है। कार्यक्षेत्र में सेवानिवृत्त(बैंक प्रबंधक)हैं। आपकी लेखन विधा-कहानी, लघुकथा,लेख एवं कविता है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी भावनाएँ व्यक्त करने वाले श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा है। इनके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक- फणीश्वरनाथ ‘रेणु’,रामधारी सिंह ‘दिनकर’, गोपाल दास ‘नीरज’, हरिवंश राय बच्चन एवं प्रेरणापुंज-फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शानदार नेतृत्व में बहुमुखी विकास और दुनियाभर में पहचान बना रहा है I हिंदी,हिंदू,हिंदुस्तान की प्रबल धारा बह रही हैI”

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