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रुत है बड़ी यह मास सावन

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

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बरसे पयोधर घोर गर्जन,हो रहा चहुँ और है।
रुत है बड़ी यह मास सावन,नाचते अब मोर हैll
मन मस्त है सब ओर से तन,है प्रफुल्लित डोलते।
करते यहाँ पर शोर झींगुर,और दादुर बोलतेll

बिजली करे अब रोशनी सब,ओर है रमणीयता।
यह मास सावन का बड़ा मन,में भरी कमनीयताll
चहुँ ओर सावन में धरा पर,हो गई सुहरीतिमा।
सरिता तड़ाग भरे हुए जल,सूर्य से है लालिमाll

घन है घिरे घनघोर आहट,आसमां करता सदा।
धरती सजी चहुँऔर से यह,मास सावन की अदाll
बरसात में अवनी वधू अब,है सजी संवरी हुई।
लगती धरा रंगीन-सी यह,रम्यता दिल को छुईll

शिव चंद्रशेखर का यही शुभ,पुण्य पावन मास है।
जयकार से गूंजे शिवालय,खत्म हो भव त्रास हैll
शिवशम्भू के अभिषेक से जग,शांत और समृद्ध हो।
शिव की कृपा जग में सभी पर,कार्य भी सबसिद्ध होll

शुभ मास सावन में सभी पर,शम्भू का आशीष है।
जग पूजता जिसको सदा वह,तारते जगदीश हैंll
हे शम्भु शंकर आपकी,करुणा सदा बहती रहे।
हर लीजिए जग त्रासदी अब,प्रेम की सरिता बहेll

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा)डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बांदीकुई (राजस्थान) में जन्मे डॉ.सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी., साहित्याचार्य,शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ व्याख्यात्मक पुस्तक प्रकाशित हैं। कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपका साहित्यिक उपनाम ‘नवनीत’ है। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो 
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’

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