गुरु वंदन

डॉ.आशा आजाद ‘कृति’कोरबा (छत्तीसगढ़)**************************************** गुरु हमारे श्रेष्ठ जग में, भाव वंदन कीजिए।ज्ञान अविरल है बहाते, चरण मस्तक लीजिए।दे रहे शिक्षा हमें नित, अपने सुंदर ध्येय से।भाग्य सबका ये गढ़े है,…

0 Comments

बुढ़ापा

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* गुज़रा ज़माना नहीं, वर्तमान भी होता है बुढ़ापा,सचमुच में चाहतें, अरमान भी होता है बुढ़ापा। केवल पीड़ा, उपेक्षा, दर्द, ग़म ही नहीं,असीमित, अथाह सम्मान भी होता…

0 Comments

बढ़ते जाना

आशा आजाद`कृतिकोरबा (छत्तीसगढ़)**************************************** जीवन है अनमोल, निरंतर बढ़ते जाना।कंटक पथ में देख, सभी को सहते जाना॥ सच्चे पथ की राह कठिन होती है हरपल।जिज्ञासा का भाव सदा हिय धरते जाना॥…

0 Comments

साजन का प्यार

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** भर रखी आँचल में अपनी सुरमई-सी स्वर्ण शामें।कर रही श्रंगार सजना नेह गहनों के बहाने। घोल तेरी प्रीत तन पर तनिक-सा उबटन लगा लूँ,इत्र तेरे देह का…

0 Comments

आज स्वागत में तुम्हारे

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* आज स्वागत में तुम्हारे, द्वार तोरण सज रहे।ढोल बाजे झांझ वीणा, आज देखो बज रहे॥द्वार पर घर आँगने में, सज रही है अल्पना।बस गया मनमीत मन में,…

0 Comments

शीतल छाँव:पिता

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* जीना जैसे पिता... करते दिल पर राज पिता थे,घर भर के सरताज पिता थे। थे हम सबकी खुशियाँ,संतानों का नाज़ पिता थे। भूत, भविष्य सभी कुछ…

0 Comments

जनहित सार लिखें

आशा आजाद`कृतिकोरबा (छत्तीसगढ़)**************************** स्वच्छ ज़मीन-स्वच्छ असमान... स्वच्छ रखें शुभ वसुंधरा यह कविवर जनहित सार लिखें,प्राणयुक्त जीवन दाता का गुण अनुपम आधार लिखें। मैली होती निसदिन गंगा मनुज स्वार्थ निज ध्येय…

0 Comments

कल पर भी लिख दो

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** आग तो बहुत लिखी है जल पर भी लिख दो,आज पर बहुत लिखा, तुम कल पर भी लिख दो। वैदिका यज्ञ बना मृदुल मृदा मंत्रों की,शांति कर…

0 Comments

शीत

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* धुंध छाई,लुप्त सूरज,शीत का वातावरण,आदमी का ठंड का बदला हुआ है आचरण। रेल धीमी,मंद जीवन,सुस्त हर इक जीव है,है ढके इंसान को ऊनी लबादा आवरण। धुंध…

0 Comments

जय नाद

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** दैदीप्त होती दूधिया पूरब में परिमल पूर्णिमा,पश्चिम बची सिंदूर सुहानी पूर्णमासी अरुणिमा।सौंदर्य अनुपम मोहती मन पूर्ण पूनम चाँदनी,नाचे मुदित मन मोर झूमे देख छेड़े रागनी। अत्यंत मादक…

0 Comments