रोशनी दीक्षित
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)
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चाहूँ न मैं कोई प्रशंसा,
न देवी बनने की है मंशा।
महान नहीं आम हूँ मैं
,
तुम्हारी तरह इंसान हूँ मैं
इतना बस कहना चाहूँ।
रचते हैं जो मुझ पर कविता,
कहते हैं जो मुझे ग़ज़ल।
शब्द मेरे क्यों खारिज कर देते,
जब-जब मैं कुछ कहना चाहूँ।
आभूषण मेरा श्रृंगार नहीं,
मुझसे आभूषित सारे रत्न।
भोग-विलास की चीज़ नहीं मैं,
स्वछंदता से मैं भी जीना चाहूँ।
अपने घर लाकर थमा दिया,
मुझे चूल्हा-चौका,झाड़ू-बरतन।
गृहस्वामिनी बनाया जिस घर की,
उसमें अपना भी हिस्सा चाहूँ।
जब-जब मैंने उड़ना चाहा,
काट दिए क्यों मेरे पंख ?
बाँध दिया मुझे स्वर्ण बेड़ी में,
जब कदम से कदम मिलाना चाहूँ।
मुझको पढ़ना आसान नहीं,
प्रेम की खुली किताब हूँ मैं।
मुझको महलों की ख्वाइश नहीं,
मैं तो दिल में रहना चाहूँ।
चाहूँ न मैं कोई प्रशंसा,
न देवी बनने की मंशा है।
महान नहीं आम हूँ मैं
,
तुम्हारी तरह इंसान हूँ मैं,
बस इतना कहना चाहूँll
परिचय-रोशनी दीक्षित का जन्म १७ जनवरी १९८० को जबलपुर (मप्र)में हुआ है। वर्तमान बसेरा जिला बिलासपुर (छत्तीसगढ़) स्थित राजकिशोर नगर में है। स्नातक तक शिक्षित रोशनी दीक्षित ने एनटीटी सहित बी.एड. एवं हिंदी साहित्य से स्नातकोत्तर भी किया है। इनका कार्य क्षेत्र-शिक्षिका का है। लेखन विधा-कविता,कहानी,गज़ल है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी भाषा का प्रचार व विकास है।