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जोरा-जोरी

निशा गुप्ता 
देहरादून (उत्तराखंड)

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काव्य संग्रह हम और तुम से…

मत कर जोरा-जोरी साजन,
लाज से मैं मर जाऊंगी
भीगे साड़ी,भीगे चोली,
कैसे! बता घर जाऊंगी।

ठंडी-ठंडी रंग की फुहारें,
तन को अगन लगाती हैं
मान जा अब तू प्रियतम मेरे,
सखियाँ शोर मचाती हैं।

कदम्ब के नीचे मिलना मुझको,
मुरली मधुर बजाना तुम
मैं खो जाऊंगी बस तुममें,
नई-नई तान सुनाना तुम।

प्रीत बावरिया मैं तो साजन,
थर-थर काँप रही
तेरी पिचकारी के आगे,
सम्मोहित-सी रही खड़ी।

हृदय बसा ले अंग लगा ले,
मैं तुझमें खो जाऊंगी
सुनकर साजन तेरी बातें,
और नहीं कुछ चाहूँगी।

तू मेरा मैं तेरी हो गई,
मिल कर फाग मनाते हैं।
जाने दे इन सखियों को,
एक-दूजे में खो जाते हैं॥

परिचयनिशा गुप्ता की जन्मतिथि १३ जुलाई १९६२ तथा जन्म स्थान मुज़फ्फरनगर है। आपका निवास देहरादून में विष्णु रोड पर है। उत्तराखंड राज्य की निशा जी ने अकार्बनिक रसायन शास्त्र में स्नातकोत्तर किया है। कार्यक्षेत्र में गृह स्वामिनी होकर भी आप सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत श्रवण बाधित संस्था की प्रांतीय महिला प्रमुख हैं,तो महिला सभा सहित अन्य संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं। आप विषय विशेषज्ञ के तौर पर शालाओं में नशा मुक्ति पर भी कार्य करती हैं। लेखन विधा में कविता लिखती हैं पर मानना है कि,जो मनोभाव मेरे मन में आए,वही उकेरे जाने चाहिए। निशा जी की कविताएं, लेख,और कहानी(सामयिक विषयों पर स्थानीय सहित प्रदेश के अखबारों में भी छपी हैं। प्राप्त सम्मान की बात करें तो श्रेष्ठ कवियित्री सम्मान,विश्व हिंदी रचनाकार मंच, आदि हैं। कवि सम्मेलनों में राष्ट्रीय कवियों के साथ कविता पाठ भी कर चुकी हैं। इनकी लेखनी का उद्देश्य- मनोभावों को सूत्र में पिरोकर सबको जागरुक करना, हिंदी के उत्कृष्ट महानुभावों से कुछ सीखना और भाषा को प्रचारित करना है।

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