कुल पृष्ठ दर्शन : 237

You are currently viewing किन्नर माँ

किन्नर माँ

डॉ.मधु आंधीवाल
अलीगढ़(उत्तर प्रदेश)
************************************************

मन्नत बहुत देर से रो रही थी। सब उसको चुप कराने में लगे थे,पर उस की एक ही रट थी मेरे पापा कहां है ? सब बच्चों के पापा आते हैं। सुमी ने कभी उसे पिता की कमी महसूस नहीं होने दी। यह वह बस्ती थी,जहां सब आन्टी थी कोई अंकल नहीं।
मन्नत को कोई कचरे के डिब्बे में बांध कर रख गया था। जब सुबह बस्ती में शोर हुआ तब पुलिस के आने पर सुमी और उसकी सहेलियों ने पूरी कार्यवाही करके उसे ले लिया। वह वहाँ बहुत प्यार से पलने लगी। दूसरी बस्ती से कोई इधर नहीं आता था। मन्नत जैसे जैसे बढ़ रही थी,उसकी उत्सुकता भी बढ़ती जा रही थी।
सुमी ने उसका नाम एक अच्छे विद्यालय में लिखा दिया,पर एक दिन बच्चों की आपस की लड़ाई में किसी ने उसको बोल दिया कि तेरा कोई बाप ही नहीं है,बस यही बात उसको चुभ गई। जब वह चुप ही नहीं हुई तो सुमी ने उसको चांटा मारा और कहा कि मैं एक किन्नर हूँ और यह किन्ररों की बस्ती है। यहाँ कोई बाप नहीं होता। उसको चांटा लगा कर सुमी स्वयं रोने लगी। वह यह बात मन्नत को बताना नहीं चाहती थी। मन्नत को कुछ समझ नहीं आया,बस सुमी को रोते देखकर वह सहम गई और बोली-‘माँ मैं कभी आपका व सब आन्टियों का दिल नहीं दुखाऊँगी। आज मैं सबको बता दूगी कि, मैं किन्नर माँ की बेटी हूँ,जो दुनिया की सबसे अच्छी माँ है।

Leave a Reply