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मिलन ही जीवन

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’
बरेली(उत्तरप्रदेश)
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जिन्दगी की तस्वीर में हमको ही रंग भरना है,
अपनी तकदीर से भी हमको जंग करना है।
मुक़द्दर की कलम हाथ हमारे है अपने ही-
जीवन में हमें अपने ही ढंग से बढ़ना है॥

बुद्धि विवेक वालों को ही याद किया जाता है,
धैर्यवान को ही जीवन में साथ दिया जाता है।
धन बल सदा काम आते नहीं किसी के भी-
नफ़रत से तो आदमी बर्बाद जिया जाता है॥

पत्थर-सा तराश कर हीरा बनना पड़ता है,
ज्ञान की रोशनी से भी भरपूर करना पड़ता है।
भीतर छिपी प्रतिभा है निखारनी पड़ती-
धैर्य विवेक का पुट खूब भरना पड़ता है॥

बुरी स्थिति में आदमी को संभलना चाहिये,
अच्छी स्थिति में नहीं उसे उछलना चाहिये।
सच-झूठ परखने की चाहिये तासीर रखनी-
बस नित-प्रतिदिन को व्यक्ति सुधरना चाहिये॥

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