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दिल का आईना रोशन करें

सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’
मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश)
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इब्तिदा के साथ अपनी इन्तिहा रोशन करें।
इल्मो ह़िकमत का अगर हम इक दिया रोशन करें।

या ख़ुदा यह ही तमन्ना है हमारी हर घड़ी,
वो शुआ़एँ दे जो दिल का आईना रोशन करें।

आप ‘भी आ कर जला दीजे कभी कोई चराग़,
हम कहाँ तक ख़ुद ही ‘अपना मक़बरा रोशन करें।

जिस ‘तरफ़ भी देखिए है तीरगी ‘पसरी हुई,
किस तरह हम ‘ज़िन्दगी का ‘फ़लसफ़ा रोशन करें।

हम चराग़ों की तरह जलते रहेंगे उम्र भर,
जितनी चाहें आप उतनी ‘मर्तबा रोशन करें।

शमअ़ उल्फ़त ‘की जला कर कूचा-ए दिलदार में,
ज़ुल्मतों ‘में गुम है जो,वो रास्ता ‘रोशन करें।

हो चुकी ह़द नफ़रतों की आओ हम मिलकर ‘फ़राज़’,
उल्फ़तों का ‘दोस्ती का सिलसिला रोशन करें॥

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