कुल पृष्ठ दर्शन : 216

तालाबन्दी:पाबंदियां हटाना समय की जरूरत

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’
ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर)

*******************************************************

आवश्यकता आविष्कार की जननी है,यह कहावत युगों-युगों से प्रचलित है,जो तालाबन्दी की पाबंदियां हटाने पर पूरी तरह सटीक बैठ रही है। तालाबन्दी आवश्यक थी,क्योंकि कोरोना विषाणु के फैलाव को रोकने का एकमात्र उपाय यही था,जिसे लगाकर सरकार ने एक सीमा तक लक्ष्य की पूर्ति भी की है,किन्तु सम्पूर्ण सफलता प्राप्त करने में सफल नहीं हुई। अब समय की मांग कहें या जरूरत,परंतु तालाबन्दी की पाबंदियां हटाना अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का एकमात्र उपाय है। इसके साथ-साथ विषाणु से सावधानीपूर्वक युद्ध कर उसे मात देने का संघर्ष भी जारी रखा जाना अनिवार्य है। अन्यथा स्पष्ट है कि, विषाणु से मरने से पहले हम भूखे मर जाएंगे। इसलिए,काम-धंधे आरंभ करना समय की मांग और जरूरत भी है। इसके अलावा एक महत्वपूर्ण बात सामने‌ यह आई है कि,रोगियों के स्वस्थ होने की संख्या अधिक और मृत्यु दर कम हुई है। सकारात्मक दृष्टिकोण से देखें,तो विषाणु को मात देने वाले भारतीय अद्वितीय योद्धा हैं,जिसे सौभाग्यशाली मानना हमारा अधिकार और कर्त्तव्य है।

परिचय–इंदु भूषण बाली का साहित्यिक उपनाम `परवाज़ मनावरी`हैl इनकी जन्म तारीख २० सितम्बर १९६२ एवं जन्म स्थान-मनावर(वर्तमान पाकिस्तान में)हैl वर्तमान और स्थाई निवास तहसील ज्यौड़ियां,जिला-जम्मू(जम्मू कश्मीर)हैl राज्य जम्मू-कश्मीर के श्री बाली की शिक्षा-पी.यू.सी. और शिरोमणि हैl कार्यक्षेत्र में विभिन्न चुनौतियों से लड़ना व आलोचना है,हालाँकि एसएसबी विभाग से सेवानिवृत्त हैंl सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप पत्रकार,समाजसेवक, लेखक एवं भारत के राष्ट्रपति पद के पूर्व प्रत्याशी रहे हैंl आपकी लेखन विधा-लघुकथा,ग़ज़ल,लेख,व्यंग्य और आलोचना इत्यादि हैl प्रकाशन में आपके खाते में ७ पुस्तकें(व्हेयर इज कांस्टिट्यूशन ? लॉ एन्ड जस्टिस ?(अंग्रेजी),कड़वे सच,मुझे न्याय दो(हिंदी) तथा डोगरी में फिट्’टे मुँह तुंदा आदि)हैंl कई अख़बारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंl लेखन के लिए कुछ सम्मान भी प्राप्त कर चुके हैंl अपने जीवन में विशेष उपलब्धि-अनंत मानने वाले परवाज़ मनावरी की लेखनी का उद्देश्य-भ्रष्टाचार से मुक्ति हैl प्रेरणा पुंज-राष्ट्रभक्ति है तो विशेषज्ञता-संविधानिक संघर्ष एवं राष्ट्रप्रेम में जीवन समर्पित है।