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सुदीर्घ राजनीतिज्ञ:भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा

हेमेन्द्र क्षीरसागर
बालाघाट(मध्यप्रदेश)
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ‘गठ’ से निकला एक स्वयंसेवक भाजपा का विस्तारित ‘गठन’ भी करेगा और सरकार के मुख्य दल का अध्यक्ष होने के नाते ‘गठबंधन’ धर्म का पालन भी करेगा। इस बात का साक्षी आने वाला समय बनेगा। यह भविष्यवाणी अब चरितार्थ हो गई,जब जगत प्रकाश नड्डा विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सर्वसम्मत निर्वाचित हो गए। सामान्य कार्यकर्ता से राष्ट्रीय अध्यक्ष पद तक आसीन होना इनके त्याग,समर्पण व कर्तव्यनिष्ठा का परिचायक है। मृदुभाषी व सबको साथ लेकर चलने वाले समर्पित कार्यकर्ता श्री नड्डा की कर्मभूमि हिमाचल प्रदेश है,मगर उनका अनुभव संपूर्ण राष्ट्र का है। इसी कार्यक्षेमता से राष्ट्रवाद की विचारधारा वाली भारतीय जनता पार्टी आपके कुशल मार्गदर्शन में नए कीर्तिमान बनाते हुए नई ऊँचाइयों को छुएगी, ऐसी पूरी उम्मीद है। कार्यकर्ता ही नींव,कार्यकर्ता ही नेतृत्व के हिमायती और सुदीर्घ राजनीतिज्ञ के अनुभव से संगठन को नई ताकत मिलेगी।

सौम्य व्यक्तित्व,दक्ष रणनीतिकार,कुशल संगठनकर्ता भाजपा के ११वें जगत प्रकाश नड्डा राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यकाल जनवरी २०२३ तक रहेगा। भाजपा का अध्यक्ष पद संभालने वाले जेपी नड्डा स्वभाव से सहज हैं। सौम्यता इतनी कि नाराज व्यक्ति भी खुशी-खुशी ही वापस जाता है और प्रभावित हुए बगैर नहीं रहता। संगठन में माहिर माने जाते हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में १३ साल तक काम किया इसलिए कार्य का दायरा बहुत बड़ा है। चुनाव प्रभारी रहते हुए २०१९ में उत्तरप्रदेश जैसे राज्य में बसपा और सपा के गठबंधन को मात देकर भाजपा को जीत दिलाई। २०१९ के लोकसभा चुनाव में पहले से ज्यादा बहुमत से वापसी करवाने में भी नड्डा की अहम भूमिका मानी जाती है। संघ के करीबी और मोदी-शाह की पसंद है।

श्री नड्‌डा का चयन संगठन क्षमता और सामाजिक समीकरण को ध्यान में रखते हुए बारीक विश्लेषण के आधार पर किया गया। संघ सामाजिक समरसता की बात करता है,भाजपा चुनावी लिहाज से सोशल इंजीनयरिंग की। नड्डा दोनों में फिट हैं। संघ और मोदी-शाह की नजर लोकसभा चुनाव के समय ही नड्डा पर थी। शाह की टीम में सिर्फ नड्‌डा ही ऐसे महासचिव थे,जो संगठन के पदों पर क्रमानुगत तरीके से बढ़े हैं। लिहाजा,बिहार की राजधानी पटना के भिखना पहाड़ी में जन्मे श्री नड्डा के पिता पटना विवि में कुलपति थे और यहीं पर नड्डा पहली पार छात्र संगठन के सचिव बने। जेपी आंदोलन के समय राजनीति में आए और बाद में अभाविप से जुड़े। इसके बाद उनका राजनीतिक भविष्य लगातार उफान पर रहा।

दरअसल,जेपी नड्डा ने एलएलबी की डिग्री हिमाचल विवि से ली और यहां अध्यक्ष बने। फिर,अभाविप के संगठन मत्री बने और भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बने। १९९३ में पहली बार हिमाचल से विधायक चुने गए। विधानसभा में पार्टी के नेता रहे। दोबारा विधायक चुने गए और उन्हें प्रदेश में स्वाथ्य और संसदीय मामलों का मंत्री बनाया गया। धूमल सरकार से मंत्री पद से इस्तीफा देकर उन्हें नितिन गडकरी की टीम में राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया। नितिन गडकरी,राजनाथ और अमित शाह की टीम में उन्हें महासचिव के रूप में रखा गया। वे राज्यसभा के लिए चुने गए और शाह ने अपनी टीम में संसदीय बोर्ड का सचिव भी बनाया। मोदी सरकार के पहले फेरबदल में वे स्वास्थ्य मंत्री बने। १९ जून २०१९ को लोकसभा चुनाव के बाद उन्हें भाजपा का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया और अब राष्ट्रीय अध्यक्ष।

यह महत्ती जवाबदेही मिलने के बाद जगत प्रकाश नड्डा के कांधों पर और अधि‍क भार आ गया कि भाजपा के विजय रथ को कैसे आगे बढ़ाया जाए। इतना ही नहीं,अभी महज देश की कुल आबादी के १० फीसद लोगों तक पैठ बना चुकी पार्टी को ५० फीसद तक पहुंचाए जाने का लक्ष्य को कार्यकर्ताओं के बल पर सफलतापूर्वक हासिल करना। अनेक संगठनात्मक मुद्दों के साथ सरकार के नीतिगत फैसलों में आमजन की स्वीकारिता बढ़ाना,ताकि सबका साथ,सबका विकास और सबका विश्वास सत्ता,संगठन और जन-जन पर बना रहे। यही कर्मपथ नवागत राष्ट्रीय अध्यक्ष के नेतृत्व में भाजपा को निसंदेह सर्वग्राही और सर्वस्पर्शी बनाएगा।

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