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उर्जित हुई धरा फिर देखो

निशा गुप्ता 
देहरादून (उत्तराखंड)

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मकर सक्रांति स्पर्द्धा विशेष….

सूर्य हो गए उत्तरायण
आया मकर सक्रांति त्यौहार,
उर्जित हुई धरा फिर देखो
हुए विदा अब ये मेहमान।
शिशिर छोड़ चला ये घर-बार,
ले आया ऊर्जा त्यौहार।

नव पल्लव भी मुस्काए हैं
कलियों के पट शरमाएं हैं,
खिलखिलाने को है बेताब
पा ऊर्जा खिली धरा आज।
मुस्काए सूरज महाराज,
ले आया ऊर्जा त्यौहार…।

वीरानी जो रही वृक्षों पर
होने लगी है वो दूर अब,
मनाएं मिल कर सब त्यौहार
दूर हों सभी रोग पुराने।
मुस्काई पत्ती पा संचार,
ले आया ऊर्जा त्यौहार…।

खिचड़ी,तिल गुड़ का दान बड़ा
खिचड़ी खाना विधान यहाँ,
करना सदा प्रकृति सम्मान
ऋतु परिवर्तन का रहे ज्ञान।
होने लगा देखो अभिसार,
ले आया ऊर्जा त्यौहार…।

दूर हो गए सभी कुहासे
ठिठुरन छोड़ धरा को भागे,
मंद-मंद रश्मि मुस्कुराई
सबके तन-मन को है भाई।
लगे आगमन हुआ ऋतु राज,
ले आया ऊर्जा त्यौहार…।

स्नान ध्यान का उत्सव ये
कर सूर्य पूजन गुड़ तिल दे,
रहे किनारा गंगा माँ का
आशीर्वाद मिले बड़ों का।
नियम पालन हो सद-व्यवहार,
ले आया ऊर्जा त्यौहार…ll

परिचयनिशा गुप्ता की जन्मतिथि १३ जुलाई १९६२ तथा जन्म स्थान मुज़फ्फरनगर है। आपका निवास देहरादून में विष्णु रोड पर है। उत्तराखंड राज्य की निशा जी ने अकार्बनिक रसायन शास्त्र में स्नातकोत्तर किया है। कार्यक्षेत्र में गृह स्वामिनी होकर भी आप सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत श्रवण बाधित संस्था की प्रांतीय महिला प्रमुख हैं,तो महिला सभा सहित अन्य संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं। आप विषय विशेषज्ञ के तौर पर शालाओं में नशा मुक्ति पर भी कार्य करती हैं। लेखन विधा में कविता लिखती हैं पर मानना है कि,जो मनोभाव मेरे मन में आए,वही उकेरे जाने चाहिए। निशा जी की कविताएं, लेख,और कहानी(सामयिक विषयों पर स्थानीय सहित प्रदेश के अखबारों में भी छपी हैं। प्राप्त सम्मान की बात करें तो श्रेष्ठ कवियित्री सम्मान,विश्व हिंदी रचनाकार मंच, आदि हैं। कवि सम्मेलनों में राष्ट्रीय कवियों के साथ कविता पाठ भी कर चुकी हैं। इनकी लेखनी का उद्देश्य- मनोभावों को सूत्र में पिरोकर सबको जागरुक करना, हिंदी के उत्कृष्ट महानुभावों से कुछ सीखना और भाषा को प्रचारित करना है।

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