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प्यार ऐसा न हो

विजय कुमार
मणिकपुर(बिहार)

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प्यार ऐसा न हो
कि मौत बन जाए,
होंठों पे तेरा नाम…
अंदर कुछ और हो जाए।

इरादा जैसा भी हो
नजदीकी साफ नजर आए,
रिश्ता पवित्र हो या न हो…
पर दुल्हन तैयार हो जाए।

जुबां से निकली आवाज
समां के पार हो जाए,
हवा का रुख बदले न बदले…
जान तेरे नाम हो जाए।

कसम खाई है साथ जीने की
फिर कोई बात न हो जाएl
प्यार ऐसा न हो…
कि,मौत बन जाएll

परिचय–विजय कुमार का बसेरा बिहार के ग्राम-मणिकपुर जिला-दरभंगा में है।जन्म तारीख २ फरवरी १९८९ एवं जन्म स्थान- मणिकपुर है। स्नातकोत्तर (इतिहास)तक शिक्षित हैं। इनका कार्यक्षेत्र अध्यापन (शिक्षक)है। सामाजिक गतिविधि में समाजसेवा से जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता एवं कहानी है। हिंदी,अंग्रेजी और मैथिली भाषा जानने वाले विजय कुमार की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक समस्याओं को उजागर करना एवं जागरूकता लाना है। इनके पसंदीदा लेखक-रामधारीसिंह ‘दिनकर’ हैं। प्रेरणा पुंज-खुद की मजबूरी है। रूचि-पठन एवं पाठन में है।

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