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अंतर्मन का प्रेम श्रृंगार

तनु सिंह
नैनीताल(उत्तराखंड)
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काव्य संग्रह हम और तुम से


आज फुर्सत के कुछ लम्हें मिले हैं,
क्यों ना सोलह श्रृंगार कर लूँ
खुद को थोड़ा सज-सँवार लूँ।
इन उलझी लटों को सुलझा कर,
आज फिर गजरे से महका लूँ।
क्यों ना सुरमयी अँखियों से,
आज मैं प्रेम की बारिश कर लूँ।
चन्द्र-सी बिंदी माथे पर सजाकर,
आज पुष्प कुंदन कर्ण में पहन लूँ।
इन सूनी पड़ी कलाईयों को,
आज रंगीन चूड़ियों से भर लूँ।
प्रेम की मेहंदी हाथों पर रचाकर,
उन सुंदर पलों को मुठ्ठी में छुपा लूँ।
सूने पैरों पर पाजेब बाँधकर,
आज फिर मैं मनमुग्ध नृत्य कर लूँ।
तेरे प्रेममयी इत्र की खुशबू से,
आज मैं अपना तन-मन महका लूँ।
क्यों ना तेरी उन मीठी-सी यादों को,
आज फिर अपने आलिंगन में भर लूँ।
तेरी-मेरी उस अधूरी प्रेम कहानी को,
आज मैं उन यादों से ही पूर्ण कर लूँ॥

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