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दर्पण झूठ नहीं कहता

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ 
उदयपुर(राजस्थान)

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धूल जमीं तेरे चेहरे पे तो,दर्पण पोंछने से क्या होगा,
अक्स दिखाता है तेरी सूरत,तेरे सोचने से क्या होगा
चेहरे की धूल को जरा,साफ करके देख ये आईना,
दर्पण झूठ नहीं कहता है,उसे कोसने से क्या होगा।

आगे बढ़ना ही ध्येय हुआ,जिनका अपने उसूलों पर,
डगमगाने उनको पथ से,उनके भौंकने से क्या होगा
फाड़ दो खंभों को,नरसिंह के नखों की ताकत से तुम,
वरना खिसयानी बिल्ली से,उन्हें नोंचने से क्या होगा।

देख कर दर्पण में खुद को,उसे तूने क्यों फेंक दिया,
हर किरचे में दिखे अब तू,मन मसोसने से क्या होगा
तलवार से ज्यादा खुद लहराते,जो ताकत घमंड से,
मैदान-ए-जंग में उस शख्स को झोंकने से क्या होगा

तुम्हारे यारों ने नाप ली कब गले लगकर तुम्हारी गर्दन,
अब आस्तीन के साँपों को देख चौंकने से क्या होगा।
‘देवेश’ को तो आदत लगी हुई यही सब कहने की,
जली हांडी में तुम्हारे अब,कुछ छौंकने से क्या होगा॥

परिचय–संजय गुप्ता साहित्यिक दुनिया में उपनाम ‘देवेश’ से जाने जाते हैं। जन्म तारीख ३० जनवरी १९६३ और जन्म स्थान-उदयपुर(राजस्थान)है। वर्तमान में उदयपुर में ही स्थाई निवास है। अभियांत्रिकी में स्नातक श्री गुप्ता का कार्यक्षेत्र ताँबा संस्थान रहा (सेवानिवृत्त)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप समाज के कार्यों में हिस्सा लेने के साथ ही गैर शासकीय संगठन से भी जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता,मुक्तक एवं कहानी है। देवेश की रचनाओं का प्रकाशन संस्थान की पत्रिका में हुआ है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जिंदगी के ५५ सालों के अनुभवों को लेखन के माध्यम से हिंदी भाषा में बौद्धिक लोगों हेतु प्रस्तुत करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-तुलसीदास,कालिदास,प्रेमचंद और गुलजार हैं। समसामयिक विषयों पर कविता से विश्लेषण में आपकी विशेषज्ञता है। ऐसे ही भाषा ज्ञानहिंदी तथा आंगल का है। इनकी रुचि-पठन एवं लेखन में है।