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माँ और मौसम

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’
इन्दौर(मध्यप्रदेश)
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जाते हुए ‘रिमझिम सावन-भादो,
दे जाते हैं ‘कुंवार’ की हथेली में ‘उमस।’
‘कुंवार’ दे जाता है,’कोहरे’ में लिपटी शरद रातें,
और ओस में भीगी ‘भोर।’
शरद ‘फागुन’ के हाथों में सौंप जाता है,
कुछ ‘वसन्त’,कुछ ‘पतझड़।’
‘फ़ागुन’ जो होता है-घाम में रखे,
मर्तबान के ‘अचार’ और घर की मुंडेर पर सूखते ‘टेसू’ के फूल की तरह।
आखिरी में रह जाते हैं,
तरसते,उदास चैत,बैशाख,जेठ और आषाढ़।
जो उस बूढ़ी ‘माँ’ की तरह है,
जिसे ऐसे ही उसके बेटे,
अकेला तरसता छोड़ जाते हैं।
यह मौसम की तपन-जलन,घुटन,
उनके हिस्से में जो आई थी।
व्याकुल ‘धरती’,’पक्षी’,और ‘जन’,
‘सृष्टि’ भी है हो रही उदास
काश! ‘मानव’ समझ पाता,
‘माँ’ और ‘धरती’ पर्याय एक-दूसरे की,
दोनों को ही जीवन में,
थोड़ी-सी ‘नमी’ की तलाश है।
जो एक को मिलती है,अपने बच्चों के अपनेपन से।
तो दूसरे को है,बस! एक बादल की आस॥

परिचय-डॉ. वंदना मिश्र का वर्तमान और स्थाई निवास मध्यप्रदेश के साहित्यिक जिले इन्दौर में है। उपनाम ‘मोहिनी’ से लेखन में सक्रिय डॉ. मिश्र की जन्म तारीख ४ अक्टूबर १९७२ और जन्म स्थान-भोपाल है। हिंदी का भाषा ज्ञान रखने वाली डॉ. मिश्र ने एम.ए. (हिन्दी),एम.फिल.(हिन्दी)व एम.एड.सहित पी-एच.डी. की शिक्षा ली है। आपका कार्य क्षेत्र-शिक्षण(नौकरी)है। लेखन विधा-कविता, लघुकथा और लेख है। आपकी रचनाओं का प्रकाशन कुछ पत्रिकाओं ओर समाचार पत्र में हुआ है। इनको ‘श्रेष्ठ शिक्षक’ सम्मान मिला है। आप ब्लॉग पर भी लिखती हैं। लेखनी का उद्देश्य-समाज की वर्तमान पृष्ठभूमि पर लिखना और समझना है। अम्रता प्रीतम को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाली ‘मोहिनी’ के प्रेरणापुंज-कृष्ण हैं। आपकी विशेषज्ञता-दूसरों को मदद करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिन्दी की पताका पूरे विश्व में लहराए।” डॉ. मिश्र का जीवन लक्ष्य-अच्छी पुस्तकें लिखना है।

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